सरोकार : खेलों में पहनावे सेक्सिएस्ट क्यों हैं?

Last Updated 24 Jul 2021 11:59:18 PM IST

नार्वे की बीच हैंडबॉल टीम ने एक नये विवाद को हवा दी है। विवाद है, खेलों में औरतों के कपड़ों को लेकर। नार्वे की बीच हैंडबॉल टीम महिलाओं की टीम है, और उस पर यूरोपीय हैंडबॉल फेडरेशन ने 1,770 डॉलर का जुर्माना लगाया है।


सरोकार : खेलों में पहनावे सेक्सिएस्ट क्यों हैं?

इस बात का कि टीम ने स्पेन के खिलाफ मैच में बिकिनी बॉटम्स की जगह शॉर्ट्स पहने। फेडरेशन का कहना है कि खिलाड़ियों ने यूनिफॉर्म के नियम को तोड़ा है।  

दूसरी तरफ नार्वे की दो खिलाड़ियों ने एक शो में इस नियम पर गुस्सा जताया और कहा कि खिलाड़ियों को खेल खेलने के लिए बिकिनी पहननी पड़े, इसकी क्या जायज वजह है। टीम के शॉर्ट्स पहनने के फैसले का बहुत से लोगों ने कहा है कि महिलाओं को अपनी पसंद के कपड़े पहनने की आजादी मिलनी ही चाहिए। फिर, टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहन कर कोई खेल क्यों नहीं खेला जा सकता। यूं खिलाड़ियों का यह भी कहना है कि इस खेल में सभी लोग हिस्सा ले सकें, इसके लिए जरूरी है कि बिकिनी की शर्त न रखी जाए। शरीर से जुड़ी असहजता के कारण बहुत सी महिलाएं यह खेल नहीं खेल पातीं। नार्वे के संस्कृति और खेल मंत्री तक ने जुर्माने का विरोध किया है।

महिलाओं के स्पोर्ट्सवियर को लेकर पहले से ही काफी विरोधाभासी तर्क दिए जाते रहे हैं। 1900 में पहली बार महिलाओं ने ओलंपिक खेलों में भाग लिया। इनमें महिला एथलीट सिर्फ  दो फीसद थीं और उन्होंने टेनिस सहित पांच खेलों में भाग लिया। उस समय महिला खिलाड़ी लंबी स्कर्ट पहनती थीं, जो टखनों और लंबी आस्तीन को ढंके रहती थी। उस समय फ्रांसीसी टेनिस खिलाड़ी सुजैन लेंग्लेन ने महिलाओं के पहनावे के अंदाज को बदल दिया था। उन्होंने छोटी बाजू की प्लीटेड पोशाक पहनी। महिला टेनिस सितारे अब जो कपड़े पहनती हैं, वे आधुनिक खेल की तेज-तर्रार प्रकृति के लिए अधिक उपयुक्त हैं। कोर्ट पर स्टाइलिश दिखने के लिए खिलाड़ी भी कई अलग-अलग शैलियों को अपनाती हैं।

टेनिस खिलाड़ी वीनस विलियम्स ने 2007 में अपना खुद का फैशन लेबल भी लॉन्च किया। वैसे हैंडबॉल खिलाड़ी ब्राजील की इसाबेल फ्लयूरी ने भी बिकिनी आउटिफट के खिलाफ टिप्पणी की थी। कहा था, ‘एक बार खेल के समय हमने शॉर्ट्स पहने हुए थे और उन्होंने हमें उन्हें उतारने के लिए कहा क्योंकि वे चाहते थे कि हम स्पीडो पहनें। जब हमने विरोध किया और उन्होंने हमें धमकाया। फिर हमें शॉर्ट्स उतारने पड़े और खेल खेलने के लिए बिकिनी पहननी पड़ी। ये नियम बदलने चाहिए।’ 2014 में स्पेन में भी एक विवाद छिड़ा, जब महिला बीच हैंडबॉल खिलाड़ियों ने शिकायत की कि महिलाओं के किट के नियम सेक्सिस्ट थे, जबकि पुरुषों को ढीले कपड़े पहनने की अनुमति थी।

औरतों के कपड़ों को लेकर बहस हर जगह है। यह ठीक वैसे ही है, जैसे आपको बुर्का या हिजाब दकियानूसी लग सकते हैं लेकिन किसी औरत के उसे पहनने के अधिकार को हम छीन नहीं सकते। यह उसकी मर्जी का सवाल है। खेल में भी कोई स्कर्ट पहने या शॉर्ट्स, बिकिनी पहने या न पहनना चाहे-इस पर मदरे की मर्जी तो नहीं चल सकती, न ही चलनी चाहिए। जैसे कतर में हैंडबॉल के मैच में औरतों से शॉर्ट्स या बिकिनी पहनने का आग्रह नहीं किया गया। ऐसे ही किसी भी देश की टीम से किसी खास पहनावे का आग्रह नहीं किया जा सकता। चूंकि कपड़े के टुकड़े रिग्रेसिव नहीं होते। यह किसी के लिए भी आराम का मामला होता है।

माशा


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