मीडिया : ‘ट्विटर’ का इलाज
ट्विटर ने आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद के ही ट्विटर अकाउंट को एक घंटे तक ब्लॉक किए रखा और कहा कि उसने अमेरिकी और अपने कानून के तहत अकाउंट को बंद किया।
मीडिया : ‘ट्विटर’ का इलाज |
ट्विटर की यह हरकत ‘ट्विटर-कल्चर’ की तरह की थी जो किसी की ‘पर्सनल फजीहत’ करने में यकीन रखती है। इससे पहले ट्विटर ने आरएसएस प्रमुख भागवत, भैया जी जोशी, गृह मंत्री अमित शाह आदि के अकाउंटों के साथ यही किया। सिर्फ पीएम उसकी कैंची से बचे हैं।
यों उसने थरूर और बड़े वकील संजय हेगड़े का अकांउट भी ब्लॉक किया है। इसी कम्र में, एक टीवी चरचा में संजय हेगड़े ने बताया कि जब मेरा अकाउंट ब्लॉक किया तो मैंने आइटी मंत्री रविशंकर प्रसाद से कहा था कि आप कुछ करिए तो उन्होंने कहा कि ट्विटर अपने नियमों से काम करता है। संजय जी की मानें तो लगता है कि सरकार अब भी ‘मीठी गड़प और कड़वी थू’ की नीति से काम कर रही है कि जब औरों पर पड़े तो ट्विटर की हिमायत करो, लेकिन जब अपने पर पड़े तो ‘विक्टिम’ खेलो, ‘सिंपैथी वेव’ जगाओ लेकिन करो कुछ मत। इसी रवैये को देख एक चैनल पर अब तक प्रो-भाजपा लाइन लेने वाले एक पैनलिस्ट ने सरकार को फटकारा कि देश में आपकी सत्ता है, लेकिन मामूली सी कंपनी आपको आंखें दिखा रही है और आप सिर्फ बातों की जुगाली कर रहे हैं। बंद कीजिए जुगाली और बता दीजिए ट्विटर को कि आप किसी की भी ऐसी दादागीरी बर्दाश्त नहीं करने वाले। एक और चैनल पर एक परम भक्त एंकर ने भी सरकार को इसी दुविधाग्रस्त नजरिए के लिए फटकारा। जिसने आपको ‘ब्लॉक’ किया आप उसे ‘ब्लॉक’ कीजिए। जब वो अपने देश में अपने कानून के तहत आप पर कार्रवाई कर सकता है तो आप अपने देश में अपने कानून के तहत उस पर कोई सख्त कार्रवाई क्यों नहीं कर सकते? उसने आपको ‘अनफॉलो’ किया तो आप उसे ‘अनफॉलो’ कीजिए!
लेकिन यही तो समस्या है।
भाजपा और उसके नेता खुद ट्विटर परस्त रहे हैं। एक वक्त रहा जब भाजपा की ‘सोशल मीडिया सेना’ की तूती बोलती थी, लेकिन परिस्थितियां बदलीं और सरकार रक्षात्मक बनी और विपक्ष की ‘सोशल मीडिया सेना’ भाजपा-सेना पर सवाई पड़ी तब से ट्विटर ने भी सुर बदल लिया। उसका मालिक खुद को ‘लेफ्ट’ बताने लगा और ‘राइटिस्टों’ के अकांउट को ‘हेराफेरी’ करने वाला। यों इससे पहले भी लोग ‘फॉल्स न्यूज’, ‘फेक न्यूज’ और ‘हेट न्यूज’ जमाते थे और वह चुप रहता था। दिन बदले तो ट्विटर का रवैया भी बदल गया और ज्यों ही वह बदला त्यों ही जो कल तक ट्विटर पर राज करते थे ट्विटर की ‘कैंची’ को देख रोने लगे। अरे भाई! संसद आपकी।
सरकार आपकी। कानून आपका। पुलिस आपकी। फिर भी आप अपने को शिकार बताते हैं तो लोग आप पर ही हंसेंगे। यही हो रहा है। लोग हमदर्दी जताने की जगह आपके साथ ‘बदतमीजी’ का मजा ले रहे हैं जिनमें आपके अपने लोग तक शामिल हैं, जो कह रहे हैं कि यार कैसी सरकार है कि जिसके मंत्री के अकाउंट को ‘ब्लॉक’ कर दिया जाता है और आप अपने को ‘विक्टिम’ बताकर ‘सिंपैथी’ बटोरना चाह रहे हैं और अपनी ‘न्यायप्रिय’ छवि जमाने के लिए कहे जा रहे हैं कि आप यहां बिजनेस कीजिए, सरकार की खूब आलोचना करिए लेकिन यहां के कानून को तो मानना होगा। सर जी जब कोई कानून नहीं मानता तो उससे मनवाया जाता है। सवाल उठता है कि अपने को देश का ‘रखवाला’ कहने वाली शक्तिशाली सरकार ट्विटर को ‘मनमानी’ क्यों करने दे रही है? उसे ‘ठीक’ क्यों नहीं करती? क्या इसलिए कि विपक्षी और बुद्धिजीवी उसे ‘फासिस्ट’ कहेंगे? लेकिन सर जी। वो तो अब भी ऐसा ही कहते हैं। तब क्या विदेशी पूंजी निवेशकों की नजर में आप अपनी छवि को जनतांत्रिक बनाए रखना चाहते हैं ताकि विदेशी निवेश करते रहें? लेकिन चीन ने तो ऐसा नहीं सोचा।
चीनी हितों के खिलाफ काम करने वाले सोशल मीडिया के बड़े-बड़े ‘तुर्रम खांओं’ को उसने लाइन में लगा दिया फिर भी बिजनेस वाले वहीं बने रहे। बिजनेस वाले अपना बिजनेस चाहते हैं। आप क्या हैं? इससे कोई मतलब नहीं होता। तब ट्विटर को ‘लाइन में लगाने’ को लेकर हिचक क्यों? इसलिए कि एक तो पीएम मोदी स्वयं सोशल मीडिया और ट्विटर को दुलराते हैं। दूसरा कारण ट्विटर के देशी विकल्प के रूप में लॉन्च किया गया ‘कू’ नामक प्लेटफॉर्म है। फिलहाल की राजनीतिक लाइन शायद यह है कि ऐसा विवाद रहेगा तो लोग ‘कू’ की ओर आएंगे तब ट्विटर की दुकान बंद करना आसान होगा। क्या सरकार इसीलिए अपनी फजीहत सहे जा रही है?
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