बतंगड़ बेतुक : हमें हाईकोर्ट का जज बनवाइए
झल्लन हमें देखते ही बोला, ‘ददाजू, सुना है आपकी इधर-उधर थोड़ी-बहुत रैंठ-पैंठ है, सो हमारा एक काम करा दीजिए, हमें किसी हाईकोर्ट का जज बनवा दीजिए।’
बतंगड़ बेतुक : हमें हाईकोर्ट का जज बनवाइए |
हमने हैरत से उसकी ओर देखा कि शायद वह मजाक कर रहा है और खाली-पीली हमारी चुटकी भर रहा है। हमने कहा, ‘हाईकोर्ट का जज क्यों बनना चाहता है, अगर बनना ही है तो सुप्रीम कोर्ट का जज बन जा और हो सके तो सीधे-सीधे सीजेआई की कुर्सी पर जम जा।’ झल्लन बोला, ‘सुनिए ददाजू, हम मजाक नहीं कर रहे हैं जो ख्वाहिश जाहिर कर रहे हैं वो बहुत सीरियस होकर कर रहे हैं, हम सुप्रीम कोर्ट के जज कतई नहीं बनेंगे, बनेंगे तो सिर्फ हाईकोर्ट के ही बनेंगे और ऐसे-ऐसे फैसले सुनाएंगे कि सारी सरकारों के होश ठिकाने लग जाएंगे।’ हमने कहा, ‘मद्रास हाईकोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही ऐसे फैसले सुना चुके हैं और हर सुनने वाले के होश उड़ा चुके हैं। तू हाईकोर्ट का जज बन जाएगा तो उनसे ज्यादा क्या सुना पाएगा।’
झल्लन बोला, ‘देखिए ददाजू, मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग ने कोरोना फैलाया है और इस आयोग की वजह से ही कोरोना ने मौत का तांडव रचाया है सो चुनाव आयोग को कटघरे में लाना चाहिए और उस पर हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। हम मद्रास हाईकोर्ट के जज बने तो हम चुनाव आयोग को फांसी की सजा सुनाएंगे, चुनाव आयोग की मौत के बाद हम एक रिटार्यड जज को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाएंगे और देश में जहां कहीं भी चुनाव जरूरी होंगे, कम-अज-कम वहां चुनाव बिल्कुल नहीं कराएंगे।’ हमने कहा, ‘अगर दिल्ली हाईकोर्ट का जज बन गया तो क्या फैसला देगा, वहां के जज जो फैसला दे चुके हैं उनका क्या करेगा। वे कह चुके हैं कि ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने पर अवमानना का मुकदमा दर्ज कराएंगे, ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित करने वालों को फांसी पर लटकाएंगे, किसी को नहीं बख्शेंगे। सरकार चाहे चोरी करे, भीख मांगे, उधार ले पर ऑक्सीजन उपलब्ध कराए, न करा पाये तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाये। इससे ज्यादा तू क्या कहेगा, इससे बड़ा क्या फैसला देगा?’ झल्लन बोला, ‘देखिए ददाजू, हमारे भीतर का न्यायाधीश जग रहा है इसलिए ये फैसला हमें बहुत तुच्छ लग रहा है। हम अपने फैसले में लिखते कि एक हफ्ते में दिल्ली की एक करोड़ जनता को ऑक्सीजन, दवा, इंजेक्शन, वेंटीलेटर, बेड और अस्पताल उपलब्ध नहीं कराए तो हम केंद्र सरकार को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर देंगे और राष्ट्रपति शासन लागू कर देंगे और अगर वर्तमान राष्ट्रपति ने ना-नुकुर की तो तत्काल दूसरा राष्ट्रपति नियुक्त कर देंगे।’
हमने कहा, ‘अगर इलाहाबाद हाईकोर्ट जाता तो वहां क्या फैसला सुनाता? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी सरकार को खूब लताड़ा भी है और अपने अधिकार के डंडे से खूब झाड़ा भी है। कहा है कि ऑक्सीजन और दवा की कमी से हुई मौत को आपराधिक कृत्य माना जाये, ऐसी मौतों को नरसंहार गिना जाये और इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाये। सरकार एलपीजी सिलेंडरों में ऑक्सीजन भरने पर विचार करे, हर कस्बे में बीस और हर गांव में दो आईसीयू लैस एंबुलेंस एक महीने में मुहैया करे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से बेचारी सरकार इतना डर गयी कि दोनों हाथ जोड़कर सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंच गयी। इससे ज्यादा क्या करेगा?’ झल्लन बोला, ‘और कुछ नहीं ददाजू, हम इस फैसले में थोड़ा संशोधन करेंगे और इसकी न्यायिक गुणवत्ता में थोड़ा संवर्धन करेंगे। अगर दवा, ऑक्सीजन और टीके में कमी हुई तो इसे सरकार, सरकार चलाने वाली विधायिका और विधायिका के अंतर्गत कार्य करने वाली कार्यपालिका, सभी के विरुद्ध नरसंहार की शिकायतों का स्वत: संज्ञान लेंगे और आजीवन कारावास तक के दंड का निर्धारण करेंगे। सरकार को हर गांव में दस एंबुलेंस लगानी होंगी, आबादी के दुगने हिसाब से गैस सिलेंडरों की फैक्टरी चलानी होगी।’
हमने हंसते हुए कहा, ‘लगता है हमें जरूर कुछ-न-कुछ करवाना पड़ेगा, तुझे हाईकोर्ट का जज बनवाना पड़ेगा। पर हम समझ नहीं पा रहे हैं कि किससे सिफारिश करवाएं।’ झल्लन बोला, ‘सुनिए ददाजू, चाहे जहां, चाहे जितना जोर लगाना पड़े, लगवाइए, पर हमें हाईकोर्ट की गद्दी तक जरूर पहुंचाइए। जब वैसे-वैसे जज बन सकते हैं तो हम क्यों नहीं बन सकते, जब उन्हें ऐसे-ऐसे फैसले देने के अधिकार प्राप्त हैं तो हमें अपने फैसले सुनाने के अधिकार क्यों नहीं मिल सकते?’ हमने मजे लेते हुए कहा, ‘झल्लन, इधर तू अपना फैसला सुना देगा उधर सुप्रीम कोर्ट उस पर रोक लगा देगा।’ झल्लन आंख दबाकर मुस्कुराया, ‘सुनो ददाजू, हम सुप्रीम कोर्ट के लिए भी आदेश जारी करेंगे कि वह ज्यादा विद्वता ना दिखाए और हमारे किसी फैसले में टंगड़ी ना फंसाए। अगर सुप्रीम कोर्ट नहीं सुनेगा तो हम अपना लोकतांत्रिक विशेषाधिकार प्रयुक्त कर लेंगे और सुप्रीम कोर्ट के ऊपर किसी हाईकोर्ट के जज को नियुक्त कर देंगे।’
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