साइबर अपराध : कहीं बेरोजगारी तो वजह नहीं?
सत्रह दिसम्बर को दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया, जो विदेश के लोगों को ठगने का काम कर रहा था।
साइबर अपराध : कहीं बेरोजगारी तो वजह नहीं? |
यह विदेशियों से पैसे आभासी मुद्रा बिटक्वॉइन में ठग रहा था। आज अपराध की दुनिया में बिटक्वॉइन एक लोकप्रिय मुद्रा है। मौजूदा समय में यह दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा है। हालांकि भारत में इसका इस्तेमाल प्रतिबंधित है, फिर भी यहां यह आपराधिक गतिविधियों में लेनदेन का सबसे बड़ा माध्यम बना हुआ है।
पुलिस ने इस कॉल सेंटर से 54 लोगों को गिरफ्तार किया। पकड़े गये सभी युवा उच्च शिक्षा हासिल किये हुए हैं। इस आपराधिक सिंडीकेट का मास्टर माइंडदुबई में रहता है, जो अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। ये युवा आकषर्क वेतन-भत्तों के साथ-साथ अन्य सभी तरह की सुविधाएं पा रहे थे, जो अमूमन एक बहुराष्ट्रीय कंपनी या सरकारी महकमें में पदस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों को मिलता है। यह कॉल सेंटर तो बानगी भर है। ऐसे कितने कॉल सेंटर देश भर में चल रहे हैं, इसका अंदाजा न तो राज्यों की पुलिस को है और न ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को।
इसी तरह के एक कॉल सेंटर में कार्यरत कम उम्र के कुछ युवाओं को बीते सालों झारखंड के जामताड़ा में पुलिस ने पकड़ा था, जो मुख्य रूप से बैंक खाताधारकों से ऑनलाइन ठगी करने का काम करते थे। इनका काम था, बैंक कर्मचारी बनकर बैंक खाताधारकों को फोन करना और उनसे डेबिट या क्रेडिट कार्ड का नंबर और ओटीपी हासिल करके ठगी को अंजाम देना। आज देश में कई दूसरे प्रकार के कॉल सेंटर भी बेरोकटोक चल रहे हैं, जिनमें से कई कॉल सेंटर तो फोन के जरिये सेक्स रैकेट चलाते हैं। कुछ कॉल सेंटर फोन के माध्यम से पहले दोस्त बनाते हैं और फिर उनका भरोसा जीतकर ठगी करते हैं। कोरोना काल में फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया के जरिये भी लोग ठगी करने का काम कर रहे हैं। आजकल, फेसबुक अकाउंट को हैक करके उनकी नकली आईडी बनाई जाती है। तदुपरांत, उसके दोस्तों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा जाता है। रिक्वेस्ट स्वीकार करने के बाद उनसे पैसे मांगे जाते हैं। ऑनलाइन ठगी करने वाले ऐसे कॉल सेंटरों एवं गिरोहों की एक लंबी फेहरिस्त है। यहां सवाल का उठना लाजिमी है देशभर में इसतरह के कॉल सेंटर क्यों फल-फल रहे हैं? इसके क्या कारण हैं। आमतौर पर जब इंसान ईमानदारी से पैसे नहीं कमा पाता है तो ही वह अपराध का रास्ता अख्तियार करता है। मौजूदा समय में, देश की आबादी लगभग 138 करोड़ है, जिसमें से युवा आबादी लगभग 25 करोड़ है। भारत में रोजगार की स्थिति पर वर्ष 2016 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी, जिसके अनुसार देश में लगभग 12 करोड़ बेरोजगार थे, जिनमें कितने युवा थे; इसका ब्योरा उक्त रिपोर्ट में नहीं दिया गया था। इधर, कोरोना महामारी के कारण देश में लगभग 12 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने का अंदेशा है। वैसे, इनमें युवाओं की संख्या कितनी है इसके आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। फिर भी, इन आंकड़ों व अनुमानों से साफ है, देश में आज बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार हैं।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार 3 मई 2020 को समाप्त हुए सप्ताह में तालाबंदी के कारण देशभर में बेरोजगारी दर बढ़कर 27.1 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई थी, जो अप्रैल 2020 में 23.5 प्रतिशत के स्तर पर थी। हालांकि, बाद में इसमें सुधार हुआ और यह अगस्त महीने में शहरी इलाके में 9.83 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 7.65 प्रतिशत के स्तर पर दर्ज की गई। कोरोना संकट ने बेरोजगारी दर को और भी बढ़ाने का काम किया है। तालाबंदी के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जो अभी भी नकारात्मक स्तर पर बनी हुई है। तालाबंदी के कारण देशभर में एक लंबे समय तक आर्थिक गतिविधियां ठप रही, जिसके कारण भी बेरोजगारी दर में इजाफा हुआ।
बेरोजगारी का सीधा संबंध अपराध दर में वृद्धि से है। यह देखा भी गया है कि बेरोजगारी बढ़ने से अपराध दर में इजाफा होता है। उदाहण के तौर पर तालाबंदी के शुरुआती दौर में लोगों के घरों में बंद होने की वजह से देश भर में अपराध के आंकड़ों में गिरावट दर्ज की गई। हाल ही में, कोलकाता में, मच्रेट चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा साइबर सुरक्षा पर आयोजित एक वेबिनार में साइबर जानकारों ने कहा कि तालाबंदी की वजह से साइबर अपराधों में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। पड़ताल से साफ़ है कि जब तक रोजगार सृजन में इजाफा नहीं होगा, अपराध दर में कमी लाना संभव नहीं है।
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