नया स्ट्रेन : बचाव के पुराने तरीके ही कारगर
कमोबेश पिछले दस महीने से पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह त्रस्त है। इसकी दहशत हमपर बदस्तूर कायम है।
नया स्ट्रेन : बचाव के पुराने तरीके ही कारगर |
अलबत्ता एक साथ तेजी से विकसित हो रही कई वैक्सीन और उसके अपेक्षित नतीजों ने हमारे खौफ को कुछ हद तक जरूर कम किया था। ज्यों ही लगने लगा कि अब कोविड-19 महामारी से निजात मिलने वाली है, कोरोना वायरस की एक नई किस्म आ धमकी।
ब्रिटेन में सबसे पहले पाए गए कोरोना वायरस के इस नये स्ट्रेन ने फिर से पूरे विश्व के माथे में पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। ऐसा अकारण नहीं है। ‘वीयूआई-202012/01’ नामी कोरोना का नया स्ट्रेन या यूं कहें कि नई किस्म पहले से मौजूद कोरोना वायरस से 70 प्रतिशत अधिक संक्रामक मानी जा रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि सार्स-कोव-2 के वर्तमान वायरस के बरक्स कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन का संक्रमण नौजवानों (30 से 60 साल की उम्र) में अधिक तेजी से फैल रहा है। इसी भयावहता को देखते हुए दुनिया के कई देशों ने ब्रिटेन से आने वाली उड़ानों को रद्द कर दिया। इस तरह की त्वरित कार्रवाई करने वाले 40 देशों में भारत भी एक रहा। ब्रिटेन ने भी इस नये स्ट्रेन को काबू में करने के लिए देश के कई हिस्सों में सख्त लॉकडाउन लगा दिया।
जाहिर है कि कोरोना के नये स्ट्रेन के प्रसार को रोकने का यही सबसे कारगर तरीका भी है कि इससे संक्रमित लोगों का दूसरे से संपर्क रोककर इसकी चेन को तोड़ा जाए, लेकिन लगता है कि प्रकृति कोरोना के बहाने चिकित्सा विज्ञान जैसी इंसान की तरक्की का पूरा इम्तेहान लेने के मूड में है। कोरोना की रोकथाम को लेकर हम जितना सोचते हैं, यह उससे दो कदम आगे निकल जाता है। शायद यही वजह है कि कोरोना इस नई किस्म के खतरे को भांपने में भी हमसे देरी हुई और सितम्बर माह में केंट काउंटी में आए पहले मामले के बावजूद उसे दुनियाभर में फैलने से रोक पाने में नाकाम रहे। प्रसंगवश दुनिया में कोरोना वैक्सीन को मंजूरी देने में सबसे आगे रहने वाले ब्रिटेन में ही वायरस की यह नई किस्म सामने आई। नया स्ट्रेन फ्रांस, डेनमार्क, नीदरलैंड, जर्मनी, इटली, स्वीडन, कनाडा, स्पेन, बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी दस्तक दे चुका है। आरंभ में इस नई किस्म का कोई मामला रिपोर्ट न होने के कारण हम भारतवासी स्वयं को सौभाग्यशाली मान रहे थे, लेकिन आखिरकार हुआ वही जिसका खतरा था। 29 दिसम्बर को पहली बार एक साथ कोरोना के नये स्ट्रेन के 6 मामले सामने आए। संतोषजनक है कि सरकारें पिछली घटनाओं से सबक लेते हुए अलर्ट हैं। तुरंत ब्रिटेन से आने वालों की जांच का दायरा बढ़ाया गया। साथ ही भारत से ब्रिटेन जाने वाली सभी उड़ानों को पहले 31 दिसम्बर तक फिर मामले की गंभीरता को देखते हुए 7 जनवरी 2021 तक बढ़ाने का फैसला लिया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसको लेकर पहले से ही दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनमें सर्विलांस, कंटेनमेंट और टेस्टिंग जैसे उपाय शामिल हैं।
जबरदस्त आर्थिक मंदी और बेरोजगारी की मार झेल रहा देश एक और लॉकडाउन को झेल पाने में कतई सक्षम नहीं है। इसलिए राज्य सरकारों को केंद्र के दिशा-निर्देशों पर ईमानदारी और मुस्तैदी से अमल करना होगा। ब्रिटेन और दीगर यूरोपीय देशों में क्रिसमस और नये साल जैसे चंद त्योहार ही धूमधाम से मनाए जाते हैं, लेकिन भारत तीज-त्योहारों वाला देश है। इसलिए राज्य सरकारों को अभी भी भीड़-भाड़ पर हर हाल में नियंत्रण रखना होगा।
कोरोना की यह नई किस्म अधिक संक्रामक भले है, लेकिन बहुत से विशेषज्ञ इसमें किसी तरह के जेनेटिक (आनुवांशिक) बदलाव से इनकार कर रहे हैं। उनका मानना है कि मौसमी इंफ्लुएंजा के वायरस में भी साल-दो साल में कुछ परिवर्तन होते हैं। कुछ का तो यहां तक कहना है कि जैविक विशेषताओं में बदलाव न होने के कारण नये ‘स्ट्रेन’ शब्द का प्रयोग करना भी गलत है। हां! इस बात को लेकर विशेषज्ञ एकमत है कि कोरोना की इस नई किस्म में 17 म्यूटेशन (परिवर्तन) दर्ज किए गए हैं, जिनमें सबसे बड़ा परिवर्तन स्पाइक प्रोटीन में है।
गौरतलब है कि स्पाइक प्रोटीन ही एक तरह से इंसानी शरीर में प्रवेश दिलाने वाली कुंजी है। चूंकि यह अत्याधिक तेजी से फैलने वाली कोरोना वायरस की ही एक किस्म है, इसलिए हमे मास्क पहनने, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने, साबुन से हाथ धोने, शारीरिक दूरी बनाए रखने के पहले से मौजूद नियमों पर और सख्ती से अमल करना होगा। अगर कोरोना के नये और पुराने स्ट्रेन को हराना है तो सतर्क रहना ही उपाय है।
| Tweet |