पूर्वाचल : अब गंगा के साथ विकास की गंगा
पूर्वाचल। प्रकृति और परमात्मा की असीम अनुकंपा वाला इलाका। वह क्षेत्र जिसने पूरी दुनिया को सामाजिक समरसता, शांति और अहिंसा का संदेश दिया। प्रभु श्रीराम की धरती।
पूर्वाचल : अब गंगा के साथ विकास की गंगा |
भगवान बुद्ध और जैन तीर्थकरों में से अधिकांश की कर्मभूमि पूर्वाचल से ही पूरी दुनिया को शांति और अहिंसा का संदेश मिला। गुरु गोरक्षनाथ जिन्होंने लोक कल्याण के लिए योग के क्रियात्मक पक्ष का प्रवर्तन किया। कबीर जिन्होंने अपने समय में सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अलख जगाई। इंडो-गंगेटिक बेल्ट की दुनिया की सर्वाधिक उर्वर भूमि वाला यह क्षेत्र सभ्यताओं और लोकतंत्र का पालना रहा है। अपनी इन्हीं खूबियों के नाते कभी पूर्वाचल का शुमार देश के समृद्धतम इलाकों में होता था। पर बाद के दिनों में पूर्वाचल पिछड़ता गया। पलायन यहां का स्थायी सच हो गया।
आजादी के बाद पूर्वाचल को लेकर राजनीति तो बहुत हुई, पर पूर्वाचल का विकास नहीं। छह साल पहले जब नरेंद्र मोदी काशी से सांसद चुने जाने के बाद देश के प्रधानमंत्री बने, तो पूर्वाचल में विकास का सबेरा हुआ। मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ जब मुख्यमंत्री बने, तो विकास की इस प्रक्रिया में अभूतपूर्व तेजी आई। नतीजतन धीरे-धीरे पूर्वाचल का कायाकल्प हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की काशी क्योटो बन रही है, तो गोरखपुर अपनी भौगोलिक स्थिति के नाते बौद्ध सर्किट का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव। दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक आयोजन कुंभ के दौरान पूरी दुनिया से आए करीब 24 करोड़ लोगों ने कुंभ के साथ गंगा, जमुना और सरस्वती के संगम पर बसे तीर्थराज प्रयाग की भव्यता और दिव्यता को देखा। दीपोत्सव के जरिए अयोध्या, देव दीपावली के जरिए वाराणसी की दुनिया के पर्यटन के नक्शे पर पहचान और मुकम्मल हुई।
मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तर्ज पर ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ अपनाई है। 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद जिस तरह पीएम मोदी ने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिए लुक ईस्ट पॉलिसी अपनाई थी, ठीक उसी तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद पूर्वाचल के विकास पर फोकस किया। नतीजा, विकास के हर क्षेत्र में निचले पायदान पर रहने वाले पूर्वाचल में आज हर दिन प्रगति की एक नई कहानी लिखी जा रही है। जहां आजादी के बाद से गोरखपुर में और बनारस में ही मेडिकल कॉलेज थे, आज सिद्धार्थ नगर, महाराजगंज, देवरिया, बस्ती और आजमगढ़ जैसे जिलों में भी मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बन रहे हैं। गोरखपुर में एम्स शुरू हो चुका है, तो पूर्वाचल का अभिशाप इंसेफलाइटिस समाप्ति की कगार पर है। बसपा सरकार में बेची जा चुकीं पिपराइच और मुंडेरवा चीनी मिलें सल्फरलेस शुगर बना रही हैं, तो गन्ना किसानों के बकाया भुगतान और एक-एक कर नवजीवन पा रहीं चीनी मिलों ने इस क्षेत्र के ‘चीनी का कटोरा’ होना का तमगा वापस मिलने की आस बलवती कर दी है। कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें, तो पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे जैसी परियोजनाओं को गति सुनहरे भविष्य की तस्वीर मन में जगाती है। गोरखपुर, अयोध्या, वाराणसी जैसे शहरों की एयर कनेक्टिविटी इस क्षेत्र में विकास के एक सुनहरे अध्याय की प्रस्तावना लिख रही है। वाराणसी से पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक गंगा में जल परिवहन शुरू हो चुका है। आने वाले समय में इसे और विस्तार देने की योजना है। गोरखपुर और वाराणसी में सुखद और सुरक्षित यात्रा के लिए मेट्रो भी प्रस्तावित है। वाराणसी, कुशीनगर, गोरखपुर, अयोध्या जैसे धार्मिंक-सांस्कृतिक महत्व के नगरों को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अंकित कराने की योगी सरकार की कोशिशों को पूरी दुनिया देख रही है। सरकार की एक जिला, एक उत्पाद से परंपरागत हुनर से बेहद संपन्न यहां के हुनरमंदों को संजीवनी मिली है। सरकार ट्रेनिंग से लेकर पूंजी और बाजार उपलब्ध कराने में उनके साथ है। कनेक्टिविटी बेहतर होने से देश दुनिया का बाजार इनकी पहुंच में होगा।
कहा जा सकता है कि आज हर क्षेत्र में पूर्वाचल में विकास की गंगा बह रही है। निश्चित ही इन सारे प्रयासों से पूर्वाचल का पुराना गौरव फिर लौटेगा। यहां गोरखपुर विश्वविद्यालय में मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में तीन दिनों का जो मंथन चला है, उससे निकलने वाला निचोड़ और उन पर अमल से पूर्वाचल के विकास को नया आयाम मिलेगा। यकीनन ऐसा होगा, क्योंकि इसमें एक मुख्यमंत्री के साथ संत की प्रतिबद्धता और संकल्प भी शामिल है।
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