संविधान : इतिहास, दर्शन व संस्कृति का दर्पण
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की शासन व्यवस्था संचालित करने वाला विश्व का सबसे बड़ा संविधान न केवल लिखित है, बल्कि हस्तलिखित भी है।
संविधान : इतिहास, दर्शन व संस्कृति का दर्पण |
हाथ से लिखा गया सुलेख भी ऐसा कि जो इस दस्तावेज के एक-एक शब्द को निखारता है, और उस पर भी उस जमाने के महान कलाकारों ने ऐसा चित्रण किया है, जिसमें भारत के गौरवमय इतिहास, दर्शन, संस्कृति एवं आकांक्षाओं के दर्शन होते हैं।
नये भारत की यह तकदीर प्रेम बिहारी रायजादा (सक्सेना) ने अपने हाथों से लिखी थी जबकि उस पर भारत के भूत, वर्तमान और भविष्य की तस्वीर विख्यात चित्रकार नंदलाल बोस और उनके शिष्यों ने उकेरी थी। दुनिया के इस बेमिसाल ग्रंथ की पाण्डुलिपि संसद की लाइब्रेरी की शोभा बढ़ा रही है। एक प्रति देहरादून में भारतीय सर्वेक्षण विभाग के पास सुरक्षित है। इसी विभाग को भारत का संविधान मुद्रित करने की ऐतिहासिक जिम्मेदारी सौंपी गई थी। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है। यह 465 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियों और 22 भागों में विभाजित है जबकि इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, जो 22 भागों में विभाजित थे और इसमें केवल 8 अनुसूचियां थीं। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता वाली संविधान सभा में 8 मुख्य समितियां एवं 15 अन्य समितियां थीं। संविधान सभा पर अनुमानित खर्च एक करोड़ रुपये आया था। संविधान 26 नवम्बर, 1949 में अंगीकार किया गया था, इसलिए देश में 26 नवम्बर को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। प्रेम फाउंडेशन के अनुसार प्रेम बिहारी नारायण ने इस महान ग्रंथ को लिखने में 432 पेन होल्डरों, उन पर 303 निबों और 254 स्याही की दवातों का प्रयोग किया। संविधान लिखने के लिये पूना से हस्तनिर्मित कागज मंगाया गया था। इस लेखन कार्य में उन्हें 6 माह का समय लगा। संविधान की मूल प्रति के प्रत्येक पृष्ठ पर इनके कॉपीराइट के तहत इनका नाम तथा अंतिम पेज पर इनके नाम के साथ इनके दादाजी मास्टर राम प्रसाद सक्सेना का नाम अंकित है। बताया जाता है कि इसी शर्त पर रायजादा ने संविधान लिखने संबंधी जवाहरलाल नेहरू का अनुरोध स्वीकारा था।
आश्चर्य की बात यह है कि 251 पृष्ठों के इतने लंबे संविधान दस्तावेज को हाथ से लिखने में न तो कहीं कोई असंगति का निशान है और ना ही कहीं कोई गलती है। हिन्दी और अंग्रेजी में इटैलिक शौली में लिखा गया यह ग्रंथ कैलीग्राफी या सुलेखन का सवरेत्तम उदाहरण है। 22 इंच लंबे और 16 इंच चौड़े आकार की संविधान की पाण्डुलिपि की हजार साल मियाद वाली चमड़े की बाइंडिंग के साथ संसद के पुस्तकालय में रखी मेज पर हीलियम से भरी केस में सुरक्षित रखा गया था, जिसे वर्तमान में नाइट्रोजन गैस से भरे केस में नमी मीटर एवं अन्य आधुनिक तकनीक से सुरक्षित रखा गया है। संविधान निर्माताओं ने जिन प्रावधानों को शब्दों में प्रस्तुत किया उनको तो हम पढ़ ही लेते हैं, परंतु जिन बातों को संकेत के रूप में चित्रांकित किया है, या सांकेतिक अभिव्यक्ति दी गई वह कमाल पश्चिम बंगाल के विख्यात चित्रकार नन्दलाल बोस एवं उनके सहयोगी ब्योहर राममनोहर सिन्हा के नेतृत्व में शांति निकेतन, विभारती (कोलकता) के चित्रकारों ने कर दिखाया है। संविधान के कुल 22 भागों में नन्दलाल बोस ने प्रत्येक भाग की शुरुआत में 8-13 इंच के चित्र बनाए जिन्हें बनाने में चार साल लगे। वास्तव में ये चित्र भारतीय इतिहास की विकास यात्रा हैं। सुनहरे बार्डर और लाल-पीले रंग की अधिकता लिए हुए इन चित्रों की शुरुआत भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक की लाट से की गई है।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना को सुनहरे बार्डर से घेरा गया है, जिसमें मोहन जोदड़ो की सभ्यता को दर्शाने के लिये घोड़ा, शेर, हाथी और बैल के चित्र बने हैं। दस्तावेज के प्रत्येक पृष्ठ के बार्डर में शतदल कमल के चित्रांकन से सुसज्जित किया गया है। अगले भाग में शिष्यों के साथ ऋषि के आश्रम का चित्र दिया गया है। कहीं गुप्तकालीन नालंदा विविद्यालय की मोहर दिखाई गई है तो एक अन्य भाग में उड़ीसा की मूर्तिकला को दिखाया गया है। बारहवें भाग में नटराज की मूर्ति, तेरहवें भाग में महाबलिपुरम मंदिर पर उकेरी गई कलाकृतियां और 14वें भाग में मुगल स्थापत्य कला को जगह दी गई है। इसी तरह 16वें भाग में टीपू सुल्तान और महारानी लक्ष्मी बाई को अंग्रेजी फौजों से लड़ते हुए, 17वें भाग में गांधी जी की दांडी यात्रा और 19वें भाग में नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजाद हिंद फौज को दिखाया गया है। 20वें भाग में हिमालय के उत्तंगािखर हैं तो अगले भाग में रेगिस्तान और अंतिम भाग में समुद्र का चित्रण है।
| Tweet |