सरोकार : महिलाओं से द्वेष भाव रखने वाले राजनेता

Last Updated 01 Dec 2019 12:33:43 AM IST

मिसॉजनी यानी महिलाओं के प्रति द्वेष की भावना किसी में भी हो सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप महिलाओं को लेकर कितने संजीदा हैं, यह ज्यादातर लोग जानते ही हैं।


महिलाओं से द्वेष भाव रखने वाले राजनेता (प्रतिकात्मक चित्र)

अमेरिका में 2020 में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में अपने भाषणों में वह लगातार महिला विरोधी बयान दे रहे हैं। हाल ही में उन्होंने उक्रेन की पूर्व राजनयिक मैरी यूवानोविच के बारे में बहुत गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी की। मैरी को उन्होंने उनके पद से हटा दिया था।

उनके बारे में ट्रंप ने कहा कि उन्होंने ‘उस औरत’ के खिलाफ‘बुरी बातें’ सुनी हैं। वह कोई फरिश्ता नहीं है। फिर उसका स्टाफ उससे अच्छा व्यवहार सिर्फ  इसलिए करता था क्योंकि वह एक औरत है। यह टिप्पणी जेंर्डड भाषा का एक उदाहरण है। चूंकि ट्रंप के हिसाब से मैरी एक इनसान नहीं, प्रोफेशनल नहीं, सिर्फ  और सिर्फ  एक औरत हैं।

वैसे ट्रंप के लिए कोई नई बात नहीं। राष्ट्रपति बनने से पहले भी वह विवादास्पद बयान दे चुके हैं। नेताओं के ऐसे बयान क्यों विशेष रूप से खराब हैं? जाहिर सी बात है, इससे जनता को लगता है कि वह भी उसकी नकल कर सकती है क्योंकि पॉलिटीशियंस आपके लिए आदर्श भी तो होते हैं। कई साल पहले अमेरिका के एक पब्लिक ट्रांसपोर्ट में एक शोहदे ने एक महिला को परेशान किया। उसकी धरपकड़ हुई तो उसने कहा, राष्ट्रपति ट्रंप कहते हैं कि महिलाओं को पकड़ना सही है तो मैंने उसे पकड़ लिया।

साल 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एक टेप सामने आया था जिसमें ट्रंप को महिलाओं के साथ अपने गलत व्यवहार का बखान करते सुना जा सकता है। टेप 2005 के दौरान टीवी होस्ट बिली बुश के साथ बातचीत का था। दोनों को नहीं पता था कि उनकी आवाज रिकॉर्ड की जा रही है। टेप में ट्रंप कह रहे थे कि आप महिलाओं के साथ कुछ भी कर सकते हैं। चाहें तो पीछे से भी पकड़ सकते हैं।

भारत में भी ऐसे मामलों की कोई कमी नहीं है। 2014 में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान रेप के मामलों में मृत्युदंड का विरोध किया था। तर्क दिया था कि लड़कों से गलतियां हो जाती हैं। क्या आप फांसी पर चढ़ा देंगे?

वरिष्ठ नेता शरद यादव ने राज्य सभा में बीमा कानून पर बहस के दौरान कहा था-दक्षिण भारत की महिलाएं सांवली जरूर होती हैं, लेकिन उनका शरीर सुंदर होता है। स्वयं प्रधानमंत्री कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी को शूर्पनखा कह चुके हैं। सवाल है कि कभी-कभार के बयान को क्या हम नजरअंदाज नहीं कर सकते। शायद नहीं..क्योंकि राजनेता अपने समर्थकों के लिए देवतुल्य होते हैं। वैसे भी हम एक समाज के रूप में महिलाओं को बराबरी का दरजा देने में यकीन नहीं रखते। उच्च पदस्थ लोग महिलाओं के बारे में ऐसे बयान देते हैं तो आम लोगों को प्रोत्साहन मिलता है।

जनता अपने नेताओं की अंधभक्ति करती है। ये नेता राजनेता, आध्यात्मिक गुरु, खिलाड़ी और फिल्मस्टार कोई भी हो सकते हैं। मनोविज्ञान में टर्म है इंट्रोजेक्शन, जब लोग बिना जाने किसी व्यक्ति का व्यवहार अपना लेते हैं। इन मामलों में वह व्यक्ति राजनेता है। जरूरत इस बात की है कि हम अपने लड़कों को सही मूल्यों के साथ बड़ा करें। अहम है कि वे अपने विवेक का इस्तेमाल करें, समझें कि अंधभक्तों की तरह अपने रोल मॉडल्स का अनुसरण न करें। हां, नेताओं को पता चलेगा कि उनकी अपमानजनक टिप्पणियों पर जनता तालियां नहीं बजाती तो वे भी ऐसी बयानबाजी नहीं करेंगे।

माशा


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