जीएसटी : सहमति बड़ी कामयाबी

Last Updated 11 Apr 2017 06:02:42 AM IST

भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को पूरी तरह से बदल देने के लिए लाए गए ऐतिहासिक जीएसटी बिल को संसद की मंजूरी मिल गई है.


जीएसटी : सहमति बड़ी कामयाबी

राज्य सभा ने इससे जुड़े चारों विधेयकों को ध्वनिमत से पास कर दिया. इन चार बिलों में केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर, एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर, वस्तु एवं सेवा कर और संघ राज्य क्षेत्र वस्तु बिल शामिल हैं. गौरतलब है कि इससे पहले लोक सभा में इन चारों बिलों को मंजूरी दे चुकी थी. अब इसे एक जुलाई की तय तिथि से लागू करने का रास्ता साफ हो गया है. इससे जुड़ा एक बिल राज्यों की विधान सभा से पास किया जाएगा और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा. बहरहाल, केंद्र सरकार के साथ-साथ पूर्व प्रधानमंत्री एवं अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने इस कदम ऐतिहासिक बताया है.

वस्तु व सेवा कर से जुड़े चार विधेयकों पर सरकार ने भरोसा दिलाया कि नई कर प्रणाली में उपभोक्ताओं और राज्यों के हितों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा जाएगा. यह भी स्पष्ट किया है कि कृषि पर कर नहीं लगाया जाएगा.दरअसल, जीएसटी की राह में अभी तक संघीय भारत और इसके राज्यों के बीच पारदर्शिता और संबंधित विषय पर आपसी समझ ऐतिहासिक रूप से मतभेद का मुख्य कारण रहे हैं. राज्यों को डर था कि टैक्स से जुड़े अधिकार भी राज्यों से छीन लिए जाएंगे तो उनके ही राज्य में उन्हें कौन पूछेगा. लेकिन अब सरकार ने केंद्र-राज्य के बीच विवादों के निपटारे की व्यवस्था में भी बदलाव किया है. कहा जा रहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद थोड़े समय के लिए महंगाई बढ़ेगी क्योंकि पूरी दुनिया में जब भी किसी क्षेत्र में समान बिक्री कर लागू किया गया वहां थोड़े समय के लिए महंगाई बढ़ी है. हर कोई इस बात से सहमत है कि भारत में भी इससे महंगाई बढ़ेगी. हालांकि सरकार ने पेट्रोल-डीज़ल, बिजली और शराब को फिलहाल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से अलग रखकर महंगाई बढ़ने की संभावना को कम करने की कोशिश की है.

दूसरी तरफ जीएसटी के राजनीतिक परिदृश्य को भी समझने की जरूरत  है. अगर जीएसटी इस साल के मध्य में पूरी तरह लागू हो और इसके कारण महंगाई बहुत बढ़ जाए तो इसका राजनीतिक असर 2017 व 2018 में राज्यों में होने वाले चुनावों में दिखेगा. अच्छे मानसून, सातवें वेतन आयोग और निवेश में बढ़ोत्तरी के साथ, ऊंची महंगाई दर मोदी सरकार पर 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले असर डाल सकती है. बहरहाल, जीएसटी का फायदा यह है कि इससे टैक्स का दायरा बढ़ जाएगा. अर्थव्यवस्था की सेहत सुधरेगी. जीडीपी बढ़ेगा. उपभोक्ता के लिए भी जीएसटी से कई फायदे होंगे. अब तक कई उत्पादों के दामों में अलग-अलग राज्यों में जो फर्क होता है वह नहीं होगा.  अनुमान है कि इसके लागू होने से भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 1.5 से 2 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी होगी.

इतना ही नहीं जीएसटी लागू होने के बाद सारे टैक्स हटेंगे. जीएसटी के तहत पूरे देश में एक ही रेट पर टैक्स लगेगा. अभी तक हर राज्य अपनी सीमा मे अलग-अलग तरीके के टैक्स लेते हैं, जिससे अनावश्यक रूप से उत्पाद की कीमत बढ़ती है, समय लगता है, सरकारी मशीनरी के हाथों व्यापारी को परेशानी उठानी होती है. एक राज्य के व्यापारी की दूसरे राज्य में प्रतिस्पर्धात्मक कमी हो जाती है. अगर पूरे देश में एक ही कर होगा तो हर राज्य में अलग- अलग स्तरों पर कर के नाम पर जो बाधाएं खड़ी की जाती हैं, वो खत्म हो जाएंगी. व्यापार निर्बाध हो सकेगा.

जाहिर है अधिक व्यापार होगा. जीडीपी और राजस्व बढ़ेगा. यह भी संभव है कि राजस्व बढ़ने से सरकार टैक्स की दर कम करने के लिए प्रेरित हो और उत्पाद का दाम भी कम हो जिसका फायदा उपभोक्ता को मिलेगा. इतना ही नहीं टैक्स चोरी कम होगी और टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा. जीएसटी आने के बाद टैक्स का ढांचा पारदर्शी होगा और असमानता नहीं होगी. काफी हद तक टैक्स विवाद कम होंगे. इतना ही नहीं जीएसटी लागू होने से ढेरों टैक्स कानून और रेगुलेटरों का झंझट नहीं होगा. साथ ही, सब कुछ ऑनलाइन होगा. वास्तव में जीएसटी कर का वह प्रकार है जो मूल्यवर्धन के प्रत्येक स्तर पर अनिवार्य रूप से लगाया जाता है. हर चरण में किसी भी आपूतिकर्ता को टैक्स क्रेडिट सिस्टम के माध्यम से इसकी भरपाई करने की अनुमति होती है. यह ठीक है कि शुरुआती दौर में जीएसटी के लागू होने में अवश्य कुछ असुविधा होगी. लेकिन इस परोक्ष कर व्यवस्था से अर्थव्यवस्था को खासा फायदा होने वाला है.

रवि शंकर
लेखक


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