मीडिया : ताजमहल को भेजो इंग्लैंड
उत्तर प्रदेश की एंटी रोमियो स्क्वैडों ने आदेश होते ही कुल जमा आठ सौ रोमियो अंदर कर दिए.
मीडिया : ताजमहल को भेजो इंग्लैंड |
एक लड़के को झांसी में दबोचा. कान पकड़ कर उठक-बैठक करवाई. स्क्वैड के नैतिक दरोगा उसे रोमियो न बनने की हिदायत देते रहे. लेकिन मेरठ में एक पुलिस कांस्टेबल ने रोमियो पहचानने में अपना एक्सपरटाइज ऐसा सिद्ध किया कि बड़े से बड़े मनोवैज्ञानिक और अपराध विशेषज्ञ भी दंग रह जाएं. जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दिन-रात हिंदी फिल्मों के उन गानों को बजाता रहता है, जो नये रोमियो और जूलिएटों के मोबाइल पर भी उपलब्ध रहते हैं, वही यह खबर भी दे रहा था कि एंटी रोमियो स्क्वैड बन गई है, अब रोमियो की खैर नहीं. ऐसे ही नैतिक समय में टाइम्स ऑफ इंडिया के एक रिपोर्टर ने मेरठ स्थित एंटी रोमियो स्क्वैड में एक कांस्टेबल से जब पूछा कि रोमियो को पहचानोगे कैसे, तो वह तपाक से बोला-अब किसी के चेहरे पर तो नहीं लिखा होता है कि कौन रोमियो है. पर हमारी इतने साल की ड्यूटी है कि हम लड़कों की आंख, चेहरे और उनके खड़े होने के अंदाज से पहचान लेते हैं कि कौन शरीफ घर का है और कौन रोमियो है.
बहरहाल, एंटी रोमियो स्क्वैड ने एक ही दिन में रोमियो पहचानने के कई सिद्धांत बना दिए हैं. जैसे लड़का-लड़की कभी दोस्त हो नहीं सकते. दोस्त जैसे दिखते हैं, तो लड़के को लड़की के घर जाकर उसके माता-पिता से बात करके इजाजत लेनी चाहिए. और दोस्त बने हैं, तो शादी कर लेनी चाहिए. मजे की बात यह कि मेरठ के कांस्टेबलों में किसी को नहीं मालूम था कि रोमियो है कौन. तो जिज्ञासा मिटाने के लिए एक कांस्टेबल दूसरे से पूछता है कि अरे भाई बता कि ये रोमियो कौन था. क्या ब्रिटिश था? तो दूसरा कहता है नहीं, नहीं. मेरे विचार से वह तो ग्रीक था. यूनानी था. और उसका नाम हमारे कारण फेमस हो गया. इस पर तीसरा कांस्टेबल विचारधारात्मक टीप जड़ता है कि रोमियो-जूलिएट प्रसिद्ध प्रेमी रहे भी हों तो इसका मतलब यह तो नहीं कि हमारी संस्कृति उन्हें एक्सेप्ट कर ले. इंग्लैंड और यूनान में तो चल सकता है, मगर भारत में तो नहीं चलेगा. यह सारा प्रसंग टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट से साभार लिया गया है. इसी प्रसंग में मेरठ सिटी के एसपी, जिनकी जीप पूरे दिन मेरठ में रोमियोज को ढूंढ़ती रही, कहने लगे कि यह कोई मॉरल पुलिसिंग नहीं है. सिर्फ शहर की सुरक्षा को पक्का कर रहे हैं. निर्दोष जोड़ों को तंग करने का कोई इरादा नहीं है. अच्छी बात है. हम एंटी रोमियो स्क्वैड के चीफ को निम्न सुझाव देना चाहते हैं. और मीडिया से भी कहना चाहते हैं कि इसमें एंटी रोमियो स्क्वैड की मदद करे.
सुझाव इस प्रकार हैं : 1. सबसे पहले पुलिस शेक्सपियर को अंदर करें. वह न मिले तो उसके चित्र को ही अंदर कर दें क्योंकि न वह होता, न रोमियो जूलिएट का किस्सा कहता, न बालक पढ़-पढ़कर रोमियो जूलिएट का खेल खेलते. पुलिस को भी यों बिजी न होना पड़ता. 2. भारतीय परंपरा में पहले रोमियो की रचना कालिदास ने की है. ‘अभिज्ञान शाकुंतलम’ के नायक राजा दुष्यंत उस समय के पहले रोमियो हैं जो जंगल में शिकार खेलने आते हैं, और जिनका दिल शंकुतला पर आ जाता है. पढ़ने वाले बच्चे इस नाटक को भी पढ़ते हैं. तो पुलिस चाहे तो राजा दुष्यंत को बरामद करे. नहीं तो जितने दुष्यंत यूपी में रहते हैं, पुलिस उनका नाम बदलवा दे. 3. हिंदी की तमाम फिल्मों और रेडियो पर आने वाले गानों को बंद कराए क्योंकि सभी रोमियोबाजी-जूलिएटबाजी सिखाते हैं. 4. सूरदास के ‘सूरसागर’ और रासलीलाओं को भी बैन करे क्योंकि वे मधुरावृत्ति और प्रेम का प्रसार करती हैं.
5. जयदेव के ‘गीत गोविंदम’ को तुरंत बैन कर देना चाहिए. तभी युवाओं का सच्चा चरित्र और राष्ट्र निर्माण होगा. 6. एंटी रोमियो स्क्वैड को उत्तर प्रदेश के सभी नागरिकों के लिए नोटिस निकाल देना चाहिए. चाहे स्कूल-कॉलेज हों, विश्वविद्यालय हों, सड़क हों, चाय के ढाबे हों, रेस्तरां-पार्क हों या सिनेमा हों लड़के-लड़कियों के बीच हमेशा दस फुट की दूरी रखनी चाहिए ताकि न कोई रोमियो बन सके न जूलिएट. 7. स्त्री की आजादी और मुक्ति के समर्थक संगठनों को भी बैन कर देना चाहिए, क्योंकि उन्हीं के प्रभाव से लड़कियां जूलिएट और लड़के रोमियो बन जाते हैं. और अंतिम बिन्दु है कि यूपी के विकास में कोई बाधक है तो ये रोमियो ही हैं. आठ सौ पकड़ लिए गए हैं. दो-चार छिपे हुए हों, तो उनको भी धर लो. और चैन की नींद सोओ और सबसे कह दो कि यूपी सभी प्रकार के रोमियोज से मुक्त है. तभी हमारा एक मित्र बोला बेटा, ताजमहल का क्या करोगे. मैंने कहा-उसे उत्तर प्रदेश से हटवाकर इंग्लैंड में ले जाओ.
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