डीयू कर रहा पाठ्यक्रम में बदलाव, एफवाईयूपी के लैपटॉप का भविष्य अधर में

Last Updated 27 Jul 2014 05:24:08 PM IST

डीयू में भले ही एफवाईयूपी का मुद्दा खत्म हो गया हो लेकिन विभिन्न कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को अभी तक इस बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है कि छात्रों के बीच जिन लैपटॉपों को वितरित किया जाना था, उनका किया क्या जाएगा?


अधर में डीयू के FYUP के लैपटॉप का भविष्य (फाइल फोटो)

श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्रधानाचार्य एस सी जैन ने कहा, ‘‘एफवाईयूपी के छात्रों के बीच लैपटॉप बांटे गए थे, क्योंकि वे उस पाठ्यक्रम के लिए जरूरी थे. अब चूंकि पाठ्यक्रम वापस ले लिया गया तो हम वापस तीन वर्षीय कार्यक्रम पर आ गए हैं, जो कि कंठस्थ करने वाली पढ़ाई पर आधारित है. इसलिए लैपटॉप वितरण की अब जरूरत नहीं है’’.
    
नए और लंबे चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम में तकनीक का बेहतर इस्तेमाल करने के लक्ष्य के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय ने पिछले साल लैपटॉप की खरीद में एक बड़ी राशि का निवेश किया था.

ये लैपटॉप पहले वर्ष के छात्रों के लिए खरीदे गए थे ताकि उन्हें अपने फाउंडेशन कोर्स के प्रोजेक्ट पूरे करने में मदद मिल सके.
    
ये लैपटॉप छात्रों को इस शर्त पर दिए गए थे कि वे साल के अंत में इन्हें कॉलेज को लौटाएंगे. हालांकि यह कॉलेज पर निर्भर था कि वे अपने छात्रों को लैपटॉप जारी करने से पहले उनसे कुछ सुरक्षा राशि को लेना चाहते हैं या नहीं.

लैपटॉप खो जाने या क्षतिग्रस्त हो जाने की स्थिति में कॉलेज को परेशानी से बचाने के लिए ये लैपटॉप भारतीय स्टेट बैंक की एक योजना के तहत बीमित भी कराए गए थे.
   
हालांकि ये लैपटॉप छात्रों के अगले बैच के बीच पुनर्वितरित किए जाएं या डीयू को वापस भेज दिए जाएं, इस सवाल पर अभी भी उलझन है क्योंकि विश्वविद्यालय की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक संदेश नहीं आया है.
   
दिल्ली विश्वविद्यालय के मीडिया समन्वयक एम नीरव ने कहा, ‘‘लगभग 50 हजार लैपटॉप छात्रों और अध्यापकों के बीच बांटे गए थे. यह एक अद्भुत शुरूआत थी और इसे छात्रों की ओर से अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी क्योंकि इसके बिना हजारों छात्र लैपटॉप का खर्च खुद नहीं उठा सकते’’.
   
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सहमत हूं और ये लैपटॉप एफवाईयूपी के पाठ्यक्रम से जुड़ी तकनीकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए वितरित किए गए थे और अब हम शिक्षक केंद्रित ब्लैकबोर्ड वाली अध्यापन तकनीक पर वापस आ गए हैं. लेकिन मेरा मानना है कि हमें इनका सदुपयोग करना चाहिए क्योंकि इनमें पैसा पहले ही निवेश किया जा चुका है’’.
   
मिरांडा हाउस की प्रधानाचार्य प्रतिभा जॉली ने कहा कि लैपटॉप वितरण के सवाल का एफवाईयूपी वापस लिए जाने से कोई संबंध नहीं है.
   
उन्होंने कहा, ‘‘चाहे छात्रों को यह चार वर्ष के कार्यक्रम में मिले या तीन वर्ष के, लैपटॉप तो लैपटॉप ही है और यह पहले के कार्यक्रम की तरह इसमें भी उपयोगी होगा’’.
   
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि डीयू प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है लेकिन हम इन्हें नई छात्राओं के बीच वितरित करने की सोच रहे हैं. हालांकि अंतिम निर्णय 10 दिन में लिया जाएगा’’.
   
एसजीबीटी खालसा कॉलेज के प्रधानाचार्य जसविंदर सिंह ने कहा, ‘‘हम लैपटॉपों के लिए पुस्तकालय की तरह की व्यवस्था बनाने पर विचार कर रहे हैं, जहां छात्र इसे 15 दिन के लिए ले सकें और उसे अपने प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए इस्तेमाल कर सकें. लेकिन इस व्यवस्था के लिए विश्वविद्यालय की अनुमति जरूरी है’’.
   
सत्यवती कॉलेज के प्रधानाचार्य सत्येंद्र कुमार जोशी ने कहा कि वे इन लैपटॉपों के पुनर्वितरण के पक्ष में हैं.



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