जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक लखनऊ में शुरू, पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने पर हो सकता विचार

Last Updated 17 Sep 2021 12:17:13 PM IST

जीएसटी परिषद की शुक्रवार को लखनऊ में बैठक होगी, जिसमें शुल्क संशोधन से संबंधित मुद्दों पर निर्णय लिया जाएगा, जो दूसरी लहर के दौरान बढ़ते मामलों के बीच कोविड राहत उपायों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पिछली बैठकों में ठंडे बस्ते में डाल दिए गए थे।


केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

हालांकि, बैठक में विशेष रूप से अनुपालन मामलों पर कुछ और कोविड राहत उपायों की घोषणा करने की उम्मीद है।

यह 2021-22 में उत्पन्न होने वाले क्षतिपूर्ति उपकर पर चर्चा करते हुए इनवर्टेड शुल्क को ठीक करने के लिए कुछ उपायों की भी घोषणा करेगा।

दोपहिया वाहनों के लिए जीएसटी दरों को कम करने और प्राकृतिक गैस को अप्रत्यक्ष कर के दायरे में लाने सहित दो अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओं को भी चर्चा के एजेंडे में शामिल किया जा सकता है।

इस दौरान चार दर्जन से अधिक वस्तुओं पर टैक्स दर की समीक्षा हो सकती है। जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल होंगे। जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया, "वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को लखनऊ में जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगी। बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों और केंद्र सरकार तथा राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी शामिल होंगे।"

जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक देश में कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद काउंसिल की पहली फिजिकल बैठक है। इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर विचार किया जा सकता है। इससे पिछली बैठक 12 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई थी। इसमें कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग में अहम कई आइटम्स पर जीएसटी रेट्स में कटौती करने का फैसला किया गया था। शुक्रवार की बैठक में इस छूट को और 3 महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है। यह बैठक आम जनता के लिए भी कई मामले में महत्वपूर्ण है। काउंसिल की इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।

लखनऊ के होटल ताज में इस दो दिवसीय बैठक में पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार हो सकता है। काउंसिल में इस बारे में सहमति बनती है तो इससे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी कमी देखने को मिल सकती है। यह मुद्दा सार्वजनिक बैठक के एजेंडे में शामिल नहीं है। इस पर कोर्ट ने सरकार को विचार करने को कहा था। जीएसटी सिस्टम में किसी भी बदलाव के लिए तीन-चैथाई सदस्यों की सहमति जरूरी है।

कई राज्यों ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल करने का विरोध किया है। उनका कहना है कि अगर इसको जीएसटी के दायरे में लाया गया तो राज्य के राजस्व जुटाने का एक अहम जरिया केंद्र सरकार के पास चला जाएगा। अभी अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर टैक्स की दर अलग-अलग है। अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो पूरे देश में इस पर समान टैक्स लगेगा। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आएगी।

बैठक में जोमैटो तथा स्विगी जैसे खाद्य डिलीवरी ऐप को रेस्टोरेंट के रूप में मानने और उनकी डिलीवरी पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर भी विचार होगा।
 

आईएएनएस
लखनऊ


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