GST नागरिक हितैषी होना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कर अधिकारियों द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के तरीके के खिलाफ तीखी टिप्पणी करते हुए बुधवार को कहा कि कर अधिकारी सभी व्यवसायों को धोखाधड़ी के रूप में नहीं देख सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट |
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने कहा, संसद ने जीएसटी को नागरिक अनुकूल कर संरचना बनाने का इरादा किया था, लेकिन जिस तरीके से इस अधिनियम को हमारे देश में लागू किया जा रहा है, उससे इसका मकसद खो गया है। हिमाचल प्रदेश जीएसटी अधिनियम के तहत अल्पकालिक कुर्की (प्रोविजनल अटैचमेंट) के अधिकारों को चुनौती देने वाली एक याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणियां की। यह याचिका राधा कृष्ण इंडस्ट्रीज की ओर से दायर की गई थी।
कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत बाली और अधिवक्ता सुरजीत भादू अपना पक्ष रख रहे थे। बहरहाल सुनवाई के दौरान पीठ ने उल्लेख किया कि कर अधिकारी संपत्ति को कुर्क नहीं कर सकते हैं और यह एक पूर्व नियोजित प्रहार नहीं हो सकता। पीठ ने अल्पकालिक कुर्की (प्रोविजनल अटैचमेंट) को ड्रैकोनियन (बेहद कठोर) बताया। कंपनी ने पीठ के समक्ष दलील दी कि धारा 83 के तहत कुर्की का अधिकार ड्रैकोनियन है।
पीठ ने कहा कि राजस्व के हितों की रक्षा और वास्तविक व्यवसायों की रक्षा के बीच एक संतुलन बनाए रखना होगा। इसने कहा, देश को इस कर संस्कृति से बाहर आने की जरूरत है कि सभी व्यवसायी धोखेबाज हैं, वह भी तब जब 12 करोड़ रुपए का कर चुकाया गया है। आप केवल इस आधार पर संपत्ति की कुर्की प्रारंभ नहीं कर सकते कि कुछ करों का भुगतान करना अभी बाकी है।
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