मूडीज एनालिटिक्स के मुताबिक, भारत में मुद्रास्फीति का ग्राफ ऊपर चढ़ रहा है, जो निश्चित रूप से असहज करने वाला है क्योंकि यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की दर में कटौती की पेशकश करने की क्षमता को सीमित करेगा।
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मूडीज एनालिटिक्स ने कहा है कि खुदरा मुद्रास्फीति पिछले आठ महीनों से रिजर्व बैंक के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर बना हुआ है।
इसके परिणामस्वरूप भारत का मुख्य सीपीआई (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) फूड, फ्यूल और लाइट को छोड़कर फरवरी में 5.6 प्रतिशत तक पहुंच गया जो जनवरी में 5.3 प्रतिशत था।
अगर समग्रता की दृष्टि से देखा जाए तो भारत का सीपीआई वार्षिक आधार पर फरवरी में 5 प्रतिशत तक बढ़ गया जो जनवरी में 4.1 प्रतिशत था।
खाद्य और पेय पदार्थ की वृद्धि दर जनवरी में 2.7 प्रतिशत के मुकाबले 4.3 प्रतिशत पर पहुंच गई।
मूडीज के अनुसार, "मुद्रास्फीति को अत्यधिक प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक फूड है, जो कुल सीपीआई के 46 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है।
खाद्य कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव और तेल की बढ़ती कीमतों के कारण वर्ष 2020 में कई बार सीपीआई 6 प्रतिशत के ऊपर चला गया। इसके परिणामस्वरूप महामारी के दौरान समायोजन मौद्रिक सेटिंग्स को बनाए रखने की आरबीआई की क्षमता बाधित हो गई।"
मूडीज एनालिटिक्स के नोट के अनुसार, ईंधन की ऊंची कीमतें सीपीआई को ऊपर की ओर बनाए रखने के लिए दबाव बनाएंगी और आरबीआई की क्षमता को आगे की दरों में कटौती करने में सीमित रखेगा।
आरबीआई के पास 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ 4 प्रतिशत की खुदरा मुद्रास्फीति का लक्ष्य है। उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई 31 मार्च की वर्तमान समाप्ति तिथि से इतर अपने वर्तमान मुद्रास्फीति लक्ष्य को बनाए रखेगा।
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