मनमोहन का जीडीपी पर आकलन सच साबित हो रहा है?
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नोटबंदी से जीडीपी में दो प्रतिशत तक गिरावट होने का आकलन सही साबित होता नजर आ रहा है.
![]() पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (फाइल फोटो) |
सरकार की तरफ से कल जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जून 2017 की तिमाही में जीडीपी की दर पिछले साल की इसी अवधि की 7.9 प्रतिशत की तुलना में दो प्रतिशत से अधिक गिरकर 5.7 प्रतिशत रह गयी जो पिछले तीन वर्ष में सबसे न्यूनतम स्तर है. वर्ष 2016-17 की अंतिम तिमाही में यह 7.1 प्रतिशत रही थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल आठ नवंबर को पांच सौ और एक हजार के नोटों के प्रचलन को बंद करने की घोषणा की थी. इसके बाद पांच सौ रुपये का नया नोट लाया गया और दो हजार रुपये का नोट पहली बार प्रचलन में आया. नोटबंदी के बाद सिंह ने राज्यसभा में भाषण में अपने आकलन के अनुसार आशंका व्यक्त की थी कि इस फैसले से जीडीपी पर दो प्रतिशत तक असर पड़ सकता है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के कल जारी आंकड़ों को देखते हुये पूर्व प्रधानमंत्री का आकलन सटीक साबित हो रहा है.
नोटबंदी के दौरान बैंकिंग तंत्र में जमा किये गये पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों और इसके एक दिन बाद ही जीडीपी के आंकड़ों से विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका मिल गया है. रिजर्व बैंक ने 2016-17 की रिपोर्ट जारी करते हुये यह माना कि नोटबंदी से पहले पांच सौ और एक हजार रुपये के जितने नोट प्रचलन में थे, उसके लगभग 99 प्रतिशत वापस आ गये हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सरकार को घेरते हुये कहा है कि क्या नोटबंदी काले धन को सफेद करने के लिये लाई गयी थी. नोटबंदी के दौरान भी विपक्ष ने सरकार को इससे रोजगार पर पड़ने वाले असर को लेकर घेरा था.
जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव की आशंका जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि नोटबंदी को जिस तरह से अमल में लाया गया है, इससे कृषि के विकास पर असर पड़ेगा और छोटे उद्योग को चोट लगेगी. नोटबंदी के फैसले पर मोदी के लोगों से 50 दिन का इंतजार करने पर पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था 50 दिन का समय अल्पावधि होती है लेकिन जो गरीब और समाज के पिछड़े वर्ग से हैं, वे 50 दिन का संकट कैसे झेलेंगे.
नोटबंदी के फैसले से देश की जनसंख्या के 60 से 65 प्रतिशत और इससे अधिक लोगों को दिक्कतों से जूझना पड़ेगा. उन्होंने नोटबंदी के दौरान हर दिन नये फैसले लिये जाने पर भी सरकार को घेरा था और कहा था कि किसी भी देश में शायद ऐसा नहीं होगा कि लोगों का बैंक में पैसा जमा हो और उन्हें निकालने की अनुमति नहीं हो.
सरकार नोटबंदी के फैसले को सही ठहरा रही है. केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रिजर्व बैंक और जीडीपी के आंकड़ों के बाद कहा कि सरकार ने जिन उद्देश्यों से नोटबंदी का फैसला लिया था, वे सफल रहा है.
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