नोटबंदी बाद जैसे हालात न पैदा कर दे जीएसटी
आधी-अधूरी तैयारियों के बीच नए कर कानून को अमल में लाने की कोशिश में लगी सरकार के सामने एक जुलाई से जीएसटी लागू करा पाना अब मुश्किल नजर आ रहा है.
नोटबंदी बाद जैसे हालात न पैदा कर दे जीएसटी |
उद्योगों को आशंका है कि आधी-अधूरी तैयारियों के बीच जिस तरह नोटबंदी के बाद अफरा-तफरी मची थी कहीं वैसे ही हालात एक बार फिर न पैदा हो जाएं. देश में खुदरा कारोबारियों के सबसे बड़े संगठन कैट द्वारा जीएसटी को एक-दो माह टालने के प्रस्ताव के बाद अब उद्योग संगठन एसोचैम ने भी इस नए कर कानून को कुछ समय के लिए टालने की मांग की है. उद्योग जगत का मानना है कि आधी-अधूरी तैयारियों के बीच जीएसटी लागू करने से कहीं नोटबंदी के बाद वाले हालात फिर न पैदा हो जाएं.
देशभर के व्यापारी अपनी तमाम समस्याओं को लेकर कहीं कतार में न खड़े हो जाएं. एसोचैम महासचिव डीएस रावत ने कहा कि जीएसटी से जुड़ा नेटवर्क अभी आधा-अधूरा है और ऐसे में इसे लागू करना संभव नहीं है. जीएसटी में इस्तेमाल होने वाला सूचना तंत्र अभी पूरी तरह तैयार नहीं है, लाखों लोगों ने इस नए नेटवर्क पर अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है और व्यापारियों ने अपने कारोबारी डाटा अभी तक कंप्यूटराइज्ड नहीं किए हैं.
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