नोटबंदी की दुर्घटना में ‘डीरेल’ हुई रेलवे

Last Updated 16 Jun 2017 05:45:53 AM IST

कुछ बेहतर करने के चक्कर में कभी-कभी कुछ ज्यादा नुकसान भी उठाना पड़ जाता है. यही कुछ आईआरसीटीसी के साथ हो रहा है.


नोटबंदी की दुर्घटना में ‘डीरेल’ हुई रेलवे

नोटबंदी के दौरान कैशलेस को बढ़ावा देने के लिए ई-टिकट बुकिंग से सर्विस चार्ज क्या हटा दिया आईआरसीटीसी ‘डीरेल’ हो गई है. नोटबंदी के बाद सर्विस चार्ज से छूट देने के चलते आईआरसीटीसी को करीब 650 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हो चुका है. इस नुकसान की भरपाई नहीं होने के कारण आईआरसीटीसी को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि इस पूरी कवायद में ई-टिकट की बुकिंग में मात्र चार प्रतिशत का ही इजाफा हुआ है.

उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष नोटबंदी के दौरान नकदी की किल्लत होने और कैशलेस को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने रेलवे के ई-टिकट की बुकिंग पर सर्विस चार्ज से छूट देने का आदेश जारी कर दिया. शुरुआत में यह आदेश 31 दिसम्बर 2016 तक के लिए था. इस अवधि में आईआरसीटसी को करीब 80 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा था. लेकिन, बाद में इस छूट को बढ़ाकर 31 मार्च 2017 और फिर 30 जून 2017 तक कर दिया गया. इस कारण स्लीपर श्रेणी के ई-टिकट के बुकिंग पर 20 रुपए और वातानुकूलित श्रेणी के ई-टिकट के बुकिंग पर 40 रुपए की छूट यात्रियों को मिली है.

सूत्रों के अनुसार, नोटबंदी के बाद से लेकर अब तक की अवधि के दौरान आईआरसीटीसी को करीब 650 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. नोटबंदी के दौरान नकदी की कमी के कारण के ई-टिकट की बुकिंग के लिए यात्रियों ने आईआरसीटीसी की ओर रुख किया था. नोटबंदी से पहले आईआरसीटीसी रोजाना कुल आरक्षित रेल टिकट का 60 प्रतिशत टिकट बुक करती थी और शेष 40 प्रतिशत टिकट बुकिंग रेलवे के विंडो काउंटरों पर होता था.

नोटबंदी के बाद यह बढ़कर 68 प्रतिशत हो गया था, लेकिन अब यह कम होकर 64 प्रतिशत पर आ गया. समझा जा रहा है कि नकदी की कमी के कारण यह आंकड़ा बढ़ा है और फिर जैसे ही नकदी की कमी दूर हो गई फिर यात्रियों ने रेलवे के टिकट विंडों की ओर रुख कर लिया है. सूत्रों का कहना है कि आईआरसीटीसी की कमाई का प्रमुख जरिया उसकी वेबसाइट से होने वाली ई-टिकट से मिलने वाला सर्विस चार्ज ही है. इस सर्विस चार्ज से मिलने वाले राजस्व से वेबसाइट मेन्टेंन करने के अलावा आईआरसीटीसी अन्य खचरे को निपटाती है. लेकिन, इस कमाई पर ग्रहण से लगने से आईआरसीटीसी के सामने कई मुश्किलें हैं और वह इसकी भरपाई की ओर से रेल मंत्रालय और वित्त मंत्रालय की ओर से टकटकी लगाए है.

विनोद श्रीवास्तव
समयलाइव डेस्क ब्यूरो


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