वित्त मंत्रालय ने भविष्य निधि जमा पर 8.65 प्रतिशत ब्याज को मंजूरी दी

Last Updated 16 Apr 2017 03:16:36 PM IST

वित्त मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय को कर्मचारी भविष्य निधि कोष पर 2016-17 के लिए 8.65 प्रतिशत ब्याज दर को मंजूरी दे दी है.


फाइल फोटो

समझा जाता है कि वित्त मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय को कर्मचारी भविष्य निधि कोष पर 2016-17 के लिए 8.65 प्रतिशत ब्याज दर को मंजूरी दे दी है. इससे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के चार करोड़ से अधिक अंशधारकों को फायदा होगा.
    
वित्त मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय को भेजी सूचना में हालांकि, यह शर्त लगाई है कि इस ब्याज दर से सेवानिवृत्ति कोष को घाटा नहीं होना चाहिए. ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड :सीबीटी: ने 8.65 प्रतिशत ब्याज दर को मंजूरी दी है. अब श्रम मंत्रालय कर्मचारियों को 8.65 प्रतिशत ब्याज प्रदान कर सकता है.
    
ईपीएफओ के अनुमान के अनुसार बीते वित्त वर्ष के लिए यह ब्याज देने के बाद उसके पास अधिशेष बचेगा.
    
वित्त मंत्रालय श्रम मंत्रालय को 8.65 प्रतिशत से कम ब्याज देने के लिए कह रहा था. ईपीएफओ के न्यासियों ने दिसंबर में इसकी मंजूरी दी थी. एक सूत्र ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय से अपनी सिफारिशों में कहा है कि उसे ब्याज दर का फैसला करना है, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि कोष को किसी तरह का नुकसान न हो.
    
श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय लगातार कह रहे थे कि ईपीएफओ के अंशधारकों को 2016-17 के लिए 8.65 प्रतिशत ब्याज दिया जाएगा.
    
मंत्री ने कहा कि केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने 8.65 प्रतिशत ब्याज देने का फैसला किया है. हमारा मंत्रालय इस बारे में वित्त मंत्रालय से विचार विमर्श करता रहता है. 8.65 प्रतिशत का ब्याज देने के बाद हमारे पास 158 करोड़ रपये का अधिशेष बचेगा.
 
आमतौर पर न्यासी बोर्ड द्वारा ब्याज दर पर जो फैसला लिया जाता है उस पर वित्त मंत्रालय की मंजूरी लेने की जरूरत होती है. वित्त मंत्रालय मंजूरी देते समय यह देखता है कि क्या ईपीएफओ न्यासियों द्वारा मंजूर दर अपनी आय से देने में सक्षम है या नहीं.

वित्त मंत्रालय द्वारा सीबीटी द्वारा मंजूर दर को अनुमोदित करने के बाद संबंधित वित्त वर्ष के लिए इसे ईपीएफओ सदस्यों के खाते में डाल दिया जाएगा.


    
वित्त मंत्रालय ने पिछले साल सीबीटी द्वारा 2015-16 के लिए मंजूर 8.8 प्रतिशत की ब्याज दर को घटाकर 8.7 प्रतिशत करने का फैसला किया था, जिसकी काफी आलोचना हुई थी. उसके बाद सरकार ने इसे फिर 8.8 प्रतिशत कर दिया था.
   
वित्त मंत्रालय लगातार श्रम मंत्रालय से ईपीएफ ब्याज दरों को कम करने को कह कहा है. उसका कहना है कि ईपीएफ पर दरों को भ्ी अन्य बचत योजनाओं मसलन पीपीएफ के अनुरूप लाया जाए.


 

 

भाषा


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