ठंडे बस्ते में एंटनी पैनल के सुझाव
Last Updated 19 Apr 2009 07:45:04 PM IST
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नयी दिल्ली। इश्क और जंग में सब जायज है और राजनीति इसका अपवाद नहीं। लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतरते समय कांग्रेस पार्टी अपनी रणनीति तैयार करने के दौरान एंटनी समिति की उन सिफारिशों को भूल गई जिसे पार्टी में नया उत्साह भरने और चुनावी लड़ाई में कारगर तरीके से उतरने के लिए पेश किया गया था।
एंटनी समिति का गठन पिछले वर्ष उस समय किया गया था जब कांग्रेस को कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था। समिति ने अपने सुझाव में कहा था कि पार्टी में जो लोग संगठन की जिम्मेदारी निभा रहे हैं उन्हें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए बल्कि उन्हें पार्टी का नेतृत्व करते हुए चुनाव अभियान की देखरेख करनी चाहिए।
एंटनी समिति की इन सिफारिशों से परे कांग्रेस ने इस लोकसभा चुनाव में तीन महासचिवों को मैदान में उतारा है जबकि राज्य इकाई के कई अध्यक्ष भी चुनावी समर में है।
कांग्रेस महासचिव मुकूल वासनिक महाराष्ट्र के रामटेक से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि वी नारायणय सामी पुडुचेरी से और राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ रहे हैं।
इसके अलावा पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रणव मुखर्जी जंगीपुर से मैदान में हैं जबकि उत्तर प्रदेश राज्य इकाई की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी लखनउु से किस्मत आजमा रही हैं। इसके अलावा दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जे पी अग्रवाल उत्तर पूर्व दिल्ली से चुनाव लड़ रहे हैं।चुनावी मैदान में कांग्रेस के अन्य प्रत्याशियों में पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मोहिंदर सिंह केपी जालंधर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि तामिलनाडु प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष टी थंगकवालु सलेम सीट से पार्टी प्रत्याशी हैं। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सी पी जोशी भीलवाडा से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
इसी प्रकार असम तथा महाराष्ट्र के पार्टी प्रभारी तथा मीडिया प्रमुख वीरप्पा मोइली
कर्नाटर के चिकबल्लापुर से चुनावी समर में हैं।
एंटनी समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा था कि संगठन के प्रभारी नेताओं को अपनी जीत पर जोर देने की बजाए अधिक से अधिक पार्टी उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए।
बहरहाल एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि सरकार के गठन को प्रमुखता देते हुए उम्मीदवारों की जीत को अहम मापदंड बनाया गया।
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