घिबली एप का संभल कर इस्तेमाल करें

Last Updated 08 Apr 2025 12:20:43 PM IST

घिबली एप से अपनी तस्वीरों को नया कलेवर देने के लिए लोग पागल हुए जा रहे हैं, बिना यह जाने-समझे कि इसका इस्तेमाल किस कदर खतरनाक है।


संभल कर इस्तेमाल करें

आजकल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद से अपनी तस्वीरों को स्टूडियो घिबली स्टाइल में बदलने का चलन आम जन को इस कदर अपनी आगोश में लिये हुए है कि इससे होने वाले नुकसान की चिंता किसी को रत्ती भर भी नहीं है। स्वाभाविक रूप से यह गोपनीयता के लिए गंभीर खतरा है।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का भी यही मत है कि इसके इस्तेमाल में बेहद सतर्कता और समझदारी की जरूरत है। क्योंकि भले इस तरह के एप और एआई टूल्स सुरक्षित दिखें, मगर इनकी शत्रे और नियम बेहद अस्पष्ट होती हैं। एक बड़ा खतरा निजी तस्वीरों की चोरी और उसके गलत उपयोग का है।

कई बार डीपफेक बनाने में कई सेलेब्रिटी की तस्वीरों का उपयोग किया गया है। कई बार तो फोटो या डाटा डार्क वेब को बेचे भी गए हैं। 

दरअसल, घिबली जापानी एनिमेशन की कला शैली स्टूडियो घिबली का ट्रेंड ओपन एआई के जीपीटी-40 मॉडल है, जिसमें तस्वीरों में महज आपका चेहरा ही नहीं बल्कि आपकी लोकेशन, वक्त और डिवाइस की जानकारी जैसा छिपा हुआ मेटाडाटा भी होता है और ये सभी निजी गोपनीय जानकारी आसानी से दे सकते हैं।

हम भारतीयों में भेड़ चाल चलने की बुरी आदत घर कर चुकी है। कोई भी नई तकनीक का इस्तेमाल हम बिना उसके गुण-दोष के आधार पर नहीं करते हैं। साइबर युग में इस तरह की गलती के बेहद खतरनाक अंजाम भुगतने की आशंका बलवती होती है। पहले भी तस्वीरों का डीपफेक की मदद से कितना भद्दा और गंदा मजाक किया गया, यह बताने की जरूरत नहीं है।

सरकार इन सब बातों से भिज्ञ है, मगर उसकी तरफ से कोई चेतावनी या निर्देश देने की पहल अब तक नहीं की गई है। होना तो यह चाहिए कि जनता को इसके बारे में सूचना और प्रसारण मंत्रालय को एक जागरूकता कैंपेन चलाना चाहिए।

सोशल मीडिया के जरिये सरकारी संस्थाओं को इस तरह के एप्लीकेशन पर बराबर नजर रखने और जनता को लगातार सतर्क रहने की कवायद करते रहना होगा। छोटी सी खुशी के चक्कर में बड़ा और कभी न भूलने वाले कृत्य को लेकर जनता को भी सोचना होगा। सिर्फ भीड़ का हिस्सा बनने से बचने में ही आज के वक्त में भलाई है। यह दौर वाकई बेहद खतरनाक है।



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