संघ मुख्यालय में मोदी

Last Updated 01 Apr 2025 12:47:43 PM IST

नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के 11 साल बाद पहली बार नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस -RSS) मुख्यालय पहुंचने के कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।


संघ मुख्यालय में मोदी

मोदी के पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2000 में अपने तीसरे कार्यकाल में संघ मुख्यालय का दौरा किया था। मोदी भी अपने तीसरे कार्यकाल में संघ मुख्यालय गए। स्वाभाविक तौर पर मोदी ने संघ के साथ अपने अटूट संबंधों की जुगाली की। उन्होंने ‘माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर’ की आधारशिला रखने के बाद कहा कि, ‘संघ भारत की अमर संस्कृति और आधुनिक अक्षयवट है, जिसके आदर्श और सिद्धांत राष्ट्रीय चेतना की रक्षा करना है।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह (संघ) देश की चेतना को ऊर्जा प्रदान करता है।’ हालांकि मोदी के नागपुर जाने और संघ प्रमुख सहित अन्य पदाधिकारियों से मिलने को विपक्ष भले मुद्दा बनाने की कोशिश में है, मगर भाजपा के नेताओं का वहां जाना कतई गलत नहीं माना जा सकता है। संघ से पीएम मोदी का दिलों का रिश्ता है, ये दशकों पुराना है. ये सफर 1972 में शुरू हुआ था। 1972 में नरेन्द्र मोदी संघ में शामिल हुए थे। प्रचारक बने, फिर के जरिए भाजपा में एंट्री हुई।

गुजरात में संगठन की जिम्मेदारी मिली। 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने। संघ का उन्हें मजबूत समर्थन मिला। बहरहाल, मोदी के इस दौरे को भाजपा के नये अध्यक्ष के चुनाव को लेकर विचार-मंथन के तौर पर भी देखा जा रहा है। हालांकि खुद प्रधानमंत्री इस साल सितम्बर में 75 वर्ष के हो जाएंगे। स्वाभाविक है कि उनकी उम्र और भाजपा के उम्र संबंधी नियम-कायदों का भी उनके दौरे में चिंतन-मनन होगा। 2024 में संपन्न हुए लोक सभा चुनाव में मोदी का मैजिक नहीं चल सका।

पार्टी आशा के अनुरूप सीटें हासिल करने में नाकामयाब रही। लाजिमी है कि पार्टी के इस लचर प्रदर्शन को लेकर यह विश्लेषण भी सामने आया कि संघ का समर्थन शायद भाजपा को नहीं मिला। वजह चाहे जो भी हो, फिलहाल भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और संघ के शीषर्स्थ पदाधिकारियों में इस बात को लेकर गहराई से यह विमर्श हो रहा है कि पार्टी 2029 में आसन्न लोक सभा चुनाव को लेकर किस तरह की रणनीति के साथ जनता के बीच आए।

इसी दरम्यिान उत्तर प्रदेश में भी-2027- में विधानसभा के चुनाव होने हैं। साफ है कि इस प्रदेश में पार्टी के प्रदर्शन को ही 2029 में कमल खिलने की गारंटी मानी जाएगी। चुनांचे, मोदी और संघ की मुलाकात के कई सारे मायने हैं।



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