कब लेगी सबक सरकार

Last Updated 01 Apr 2025 12:44:59 PM IST

ओडिशा के कटक में नेरगुंडी स्टेशन के पास बैंगलोर-कामाख्या सुपरफास्ट एक्सप्रेस का बे-पटरी होना वाकई दुखद है। खबर है कि ट्रेन के ग्यारह डिब्बे पटरी से उतर गए और एक शख्स की मौत हो गई है जबकि कई घायल हैं।


हालांकि ट्रेन के पटरी से उतरने का कारण अभी पता नहीं चला है, परंतु जांच के आदेश दिए जा चुके हैं। ट्रेनों के पटरी से उतरने के मुख्य कारणों में ट्रैक की खराबी के साथ ही टूटी पटरियां, गलत ट्रैक होना या स्विच की खराबी होती है। कई बार रेलवे के खराब रख-रखाव के कारण भी जोखिम बढ जाता है। 

मैकेनिकल फाल्ट या ट्रैक पर लगे उपकरणों की उचित देखभाल न होने के कारण भी पटरी से ट्रेन उतर सकती है। विशेषज्ञ बाताते हैं, अत्यधिक गरमी के कारण पटरियों पर पड़ने वाली दरारें या डब्बों को आपस में जोड़ने वाले उपकरणों को सलीके न बांधे जाने के कारण भी यह हादसा होने की आशंकाएं बढ जाती हैं। 

चूंकि अपने देश का रेल नेटवर्क दुनिया का चौथा सबसे बड़ा है, जिसमें बड़ी संख्या में यात्री व भारी-भरकम सामान का आवागमन होता है। नियंत्रक व महालेखा परीक्षक ने हर साल एक लाख से अधिक सिग्नल व रोलिंग स्टॉक मेमोरी की विफलता की तरफ भी इशारा किया है। 

पुरानी हो चुकी पटरियों पर जब ओवर-लोडेड ट्रेनें तेज रफ्तार से गुजरती हैं तो इन पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और टूटने का खतरा बढ़ जाता है। पिछली कई दुर्घटनाओं में पाया गया कि इनके पीछे चालकों की थकान व काम का बोझ भी है। 

सिग्नल विफलताएं, तकनीकी खामियां, रख-रखाव संबंधी लापरवाहियां भी कम नहीं हो रहीं। मानवीय गलतियों को लेकर जितना हो-हल्ला होता है, उससे ज्यादा तकनीकी गड़बड़ी तथा खरीद में लापरवाही भी दोषी है। रेलवे की गलतियों के अलावा अराजक तत्वों की शरारत, जानबूझकर कर की गई तोड़-फोड़ भी होती है। 

जिसे रोकना बड़ी चुनौती है। तय रूप से दुर्घटनाओं से बचाव के लिए रेलवे को तकनीक का बेहतर इस्तेमाल करना चाहिए और कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के अतिरिक्त उन्हें और भी जिम्मेदार बनाना होगा। 

यह यात्रियों का भी दायित्व है कि वे सतर्क रहें और रेल नियमों का पालन करें। सरकार व रेलवे ऐसी किसी भी दुर्घटना के बाद मुआवजे का ऐलान कर हाथ न झाड़ें बल्कि एहितयातन सबक लेने की कोशिशें भी करें।



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