मुंबई इंडियंस सही मायनों में चैंपियन
महिला प्रीमियर लीग में हरमनप्रीत कौर की अगुआई वाली मुंबई इंडियंस ने दूसरी बार कब्जा जमाकर अपनी धाक जमा दी है।
![]() मुंबई इंडियंस सही मायनों में चैंपियन |
दिल्ली कैपिटल्स के लिए इस बात पर विचार करने की जरूरत है कि लगातार तीन बार फाइनल में पहुंचने के बद भी वह अपने ऊपर विजेता का ठप्पा लगाने में क्यों कामयाब नहीं हो पाई। यहां किसी भी टीम की सफलता खिलाड़ियों की प्रतिष्ठा से निर्धारित नहीं होती है।
दिल्ली कैपिटल्स की कप्तानी ऑस्ट्रलियाई कप्तान मेग लेनिंग्स कर रहीं हैं और उन्हें दुनिया की सफलतम कप्तान माना जाता है पर वह अपने इस चमत्कार को महिला प्रीमियर लीग में नहीं दिखा सकीं। पर इस सबके बीच खास बात यह है कि महिलाओं की यह क्रिकेट लीग अपना झंडा गाड़ने में सफल रही।
पिछले दो सीजन के मुकाबले इस बार ज्यादा केंद्रों पर मैचों का आयोजन किया गया और सभी केंद्रों पर दर्शकों का आना इसकी सफलता की कहानी को बयां करता है। यही नहीं आरसीबी और गुजरात जायंट्स के बीच खेले गए उद्घाटन मैच को टेलीविजन पर देखने वालों की संख्या तीन करोड़ थी, यह पिछले सीजन के उद्घाटन मैच के मुकाबले 150 प्रतिशत ज्यादा है। इससे लीग की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह देश की यंग ब्रिगेड के लिए अनुभव पाने का अच्छा मंच साबित हो रहा है।
अभी कुछ समय पहले अंडर-19 क्रिकेट में खेलने वाली निकी प्रसाद, जी कमिलिनी और संस्कृति गुप्ता जैसी खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के बीच निखरने का मौका मिला है। यह अनुभव इन खिलाड़ियों का राष्ट्रीय टीम में ग्रेजुएशन कर सकता है।
इसके अलावा आईपीएल की तरह यह लीग भी महिला खिलाड़ियों की आर्थिक स्थिति सुधारने में अहम भूमिका निभा रही है। यह सही है कि इस लीग में अभी आईपीएल के मुकाबले पैसा कम है, पर लीग की लोकप्रियता के हिसाब से इसमें बढ़ोतरी हो रही है। इसमें वह समय भी आ सकता है, जब महिला क्रिकेटर भी पुरुष क्रिकेटरों की तरह करोड़ों में खेलती नजर आएंगी।
यह लीग आईपीएल की तरह ही दुनियाभर के क्रिकेटरों को आकषिर्त करने में सफल रही है, पर यह लीग कभी किसी को हीरोइन बनाती है तो प्रदर्शन खराब होते ही जमीन पर भी पटक देती है। आरसीबी को ही लें। यह टीम पिछली बार की चैंपियन है और इसकी कप्तान स्मृति मंधाना खराब प्रदर्शन से क्रिकेटप्रेमियों की निगाह से उतर गई हैं।
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