महाकुंभ युग परिवर्तन की आहट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने प्रयागराज में सपन्न हुए महाकुंभ को युग परिवर्तन की आहट बताया और विकसित भारत का संदेश बताया। उन्होंने महाकुंभ समागम की तुलना गुलामी की मानसिकता की बेड़ियों को तोड़कर आजादी से संस ले रहे राष्ट्र की नवजागृत चेतना से की।
![]() आस्था का जयकारा |
समापन के एक दिन बाद मोदी ने ब्लाग में लिखा, महाकुंभ संपन्न हो गया। एकता का महायज्ञ संपन्न हो गया। भारत अब नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। यह युग परिवर्तन का संकेत है। जो भारत के लिए नया भविष्य लिखेगा।
उप्र सरकार के अनुसार 13 जनवरी को शुरू हुए महाकुंभ में 65 करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई। उधर राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्षी दलों पर निशाना लगाते हुए कहा, दुनिया में कहीं भी इतना विशाल समागम नहीं हुआ।
स्वच्छता व स्वास्थ्य कर्मियों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा लूटपाट, अपहरण, छेड़छाड़ व दुष्कर्म की ऐसी कोई घटना नहीं हुई, जो विरोधियों को दूरबीन या माइक्रोस्कोप से देखने को मिलती।
इसमें कोई संदेह नहीं कि सरकार के अनुमान से कहीं अधिक संख्या में लोग प्रयागराज पहुंचे। जितना जन सैलाब था, उसके अनुपात में असुविधाओं या समस्याओं का खड़ा न होना, अपने आपमें बड़ा आश्चर्य है।
हालांकि भगदड़ की मौतों के आंकड़े छिपाने और अपनों की तलाश में भटकने वालों की जानते-बूझते अनदेखी की गई। सीमित साधनों के चलते स्थानीय नागरिकों को रोजाना की चीजों व नियमित कार्य/पढ़ाई व नौकरीपेशा लोगों को हुई दिक्कतों की किसी ने फिक्र ही नहीं की।
हालांकि इस विशाल आयोजन में उत्साहपूर्वक शामिल होने वाले श्रद्धालुओं ने कई-कई किलोमीटर पैदल चलने, ट्रैफिक जाम में फंसे रहने और पीने के पानी व भोजन को लेकर हुई अव्यवस्था पर भरपूर सहयोगात्मक भाव बनाये रखा।
मोदी ने उसे समझा और उस पर माफी मांग कर अपना बड़प्पन भी दिखाया, जबकि योगी की बातों से ऐसा नजर नहीं आता, परंतु सफाईकर्मियों को प्रात्साहन राशि देने व उनकी तारीफ करके उन्होेंने परंपरा से हटकर अपना अंदाज दिखाया। आस्था, विश्वास व उत्साह भरे इस आयोजन के लिए सभी की सराहना की जानी चाहिए।
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