दिल्ली में ऐतिहासिक जनादेश
भाजपा का दिल्ली में 27 साल से चला आ रहा राजनीतिक वनवास शनिवार को समाप्त हो गया जब उसने 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा की 48 सीट जीत कर आम आदमी पार्टी (आप - AAP) के तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के मंसूबे पर पानी फेर दिया।
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आप को 22 सीटें मिलीं। कांग्रेस अपना खाता तक खोलने में लगातार तीसरी बार नाकाम रही। भाजपा को 45.81 फीसद मत मिले जबकि आप ने 43.56 फीसद मत हासिल किए और कांग्रेस को 6.36 फीसद मतों पर संतोष करना पड़ा।
आप के लिए सर्वाधिक निराशाजनक रहा कि उसके राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पार्टी में नंबर दो मनीष सिसोदिया समेत सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन समेत कई धुरंधरों को मतदाताओं ने नकार दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जो दिल्ली में भाजपा की जीत के प्रमुख कर्णधार रहे, अपनी पार्टी को ‘प्रचंड जनादेश’ मिलने पर मतदाताओं का आभार जताते हुए आस्त किया है कि राजधानी के चौतरफा विकास और लोगों का जीवन उत्तम बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। भाजपा की जीत को ऐतिहासिक करार देते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली एक दशक की ‘आप-दा’ से मुक्त हुई है। कांग्रेस की इस बार भी दुर्गत हुई।
पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में 15 साल तक सरकार चलाने के बाद सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस इस बार भी एक भी सीट हासिल न कर सकी। विधानसभा की सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ी कांग्रेस के तीन प्रत्याशी ही जमानत बचा सके। अलबत्ता, पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले उसके मत प्रतिशत में दो फीसद से ज्यादा बढ़ोतरी जरूर हुई है। आप का जन्म मध्यम वर्ग की तत्कालीन राजनीतिक माहौल से निराशा की वजह से हुआ था लेकिन बाद के वर्षो में आप खुद को गरीबों के लिए काम करने वाली चैंपियन पार्टी के रूप में उभारने सफल रही।
लेकिन राजधानी में नागरिक सेवाओं की चरमराई स्थिति से पनपे आम जन के आक्रोश से बच न सकी। दिल्ली नगर निगम में भी आप की सत्ता होने के कारण आप के लिए यह भी संभव न था कि निगम की काहिली बता कर जनाक्रोश से खुद को बचा ले जाती।
शराब घोटाला, जिसमें उसके कुछ वरिष्ठ नेताओं को जेल भी जाना पड़ा, आलीशान मुख्यमंत्री आवास, जिसे भाजपा ने शीशमहल कहा, जैसे मुद्दे ऐसे रहे जिनसे केजरीवाल की छवि खासी धूमिल हो गई। उनकी ‘कट्टर ईमानदार’ की छवि को इन दो बातों ने चकनाचूर कर दिया। वे जनता को विश्वास ही नहीं दिला पाए कि उन्होंने भ्रष्टाचार नहीं किया है।
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