ट्रंप को झटका
अमेरिकी अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नीति विभाग की संवेदनशील जानकारी हासिल करने पर रोक लगा दी है।
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संघीय न्यायाधीश ने पूंजीपति एलन मस्क नीति सरकारी दक्षता विभाग को वित्त विभाग के रिकार्ड हासिल करने पर रोक लगाई जिसमें लाखों अमेरिकियों की सामाजिक सुरक्षा व बैंक खाता संबंधी संवेदनशील जानकारी व डेटा शामिल हैं।
यह आदेश उन्नीस डेमोक्रेटिक अटॉरनी जनरलों द्वारा ट्रंप पर दायर किये गये मुकदमे के बाद जारी किया। एक अन्य संघीय अदालत ने अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी के हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने के आदेश पर अस्थाई रोक लगा दी।
अदालत का कहना है कि ट्रंप प्रशासन ने संघीय कानून का उल्लंघन करते हुए मस्क की टीम को वित्त विभाग की केंद्रीय भुगतान प्रणाली तक पहुंचने की अनुमति दी जिसके तहत रिफंड, सामाजिक सुरक्षा लाभ, पूर्व सैनिकों को लाभ समेत तमाम जिम्मेदारियां आती हैं।
यह प्रति वर्ष लाखों-करोड़ों डॉलर का लेन-देन करती है। ट्रंप के सत्ता संभालते ही उनके प्रशासन ने सरकारी फिजूलखर्ची का पता लगाने और उसे खत्म करने के लिए मस्क के नेतृत्व में सरकारी दक्षता विभाग यानी डीओजीआई का गठन किया था।
हजारों विदेशी कर्मचारियों को तीस दिन के भीतर परिवार समेत लौटने के आदेश को रोकते हुए अदालत ने इसे जल्दबाजी में किया गया फैसला बताया। अदालत का यह रुख दिग्गज कारोबारी मस्क और ट्रंप, दोनों को बड़ा झटका माना जा रहा है।
राष्ट्रपति चुनाव से पूर्व ही मस्क ने ट्रंप के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। राष्ट्रपति बनते ही रिपब्लिकन पार्टी के नेता ट्रंप के इमीग्रेशन, टैरिफ, जलवायु समझौते और विश्व स्वास्थ्य संगठन से पांव खींचने जैसे चौंकाने वाले फैसलों पर दुनिया हतप्रभ थी। उनके तेवरों से विपक्ष ही नहीं, विश्व समुदाय भी आशंकित है।
उन्होंने कहा है कि हम युद्ध में नहीं पड़ेंगे, शांति लायेंगे जबकि यूक्रेन का जिक्र भी नहीं किया, न ही गाजा के विषय में कुछ स्पष्ट किया। अमेरिका महंगाई के साथ कानून-व्यवस्था से जूझ रहा है। अमेरिकी व्यवस्था में अदालतों के अधिकारों को चुनौती देना आसान नहीं है। मगर ट्रंप दूसरे कार्यकाल में पूर्वाग्रहों से भरे एजेंडों को लेकर काफी आक्रामक हैं। न सिर्फ बजिद नजर आ रहे हैं, बल्कि अपने मंसूबों को लेकर अड़े भी हुए हैं।
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