महाकुंभ में भीषण आग लगना चिंता की बात
प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान भीषण आग लगना चिंता की बात है। शुक्र है कि अखाड़े वालों व दमकलकर्मियों ने फौरन आग पर काबू पा लिया। एकदिन पहले भी इसी तरह आग लगी थी।
महाकुंभ में भीषण आग लगना चिंता की बात |
आग सेक्टर 19 में शास्त्रीय पुल के नीचे लगी। 25 में से 20 टेंट व ढेरों फूस की झोपड़ियां जलकर खाक हो गई। कहा गया खाना पकाते समय आग लगी, जिसमें तीन कुकिंग सिलेंडरों के ब्लास्ट से श्रद्धालुओं में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। पूरे महाकुंभ मेले में एलर्ट जारी कर दिया गया।
दमकल को घटनास्थल तक पहुंचने में देरी का कारण भीड़ बताया जा रहा है। हालांकि कोई जन हानि नहीं हुई है। मगर लोगों में दहशत जरूर फैल गई। आग की विकराल लपटें दारागंज-झूंसी के बीच बने नये ट्रेनपुल के करीब पहुंच गई। महाकुंभ स्पेशल ट्रेन को रोकने में नाकाम रेलवे ने उसे निकालने के बाद प्रयागराज-वाराणसी रेलमार्ग पर आने-जाने वाली तमाम ट्रेनों की आवा-जाही रोकी गई।
उप्र के मुख्यमंत्री प्रयागराज में ही मौजूद थे, उन्होंने घटनास्थल का दौरा किया और मामले के मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए। भारी भीड़ को संभालना निश्चित रूप से बड़ी चुनौती है। ये टेंट निजी कंपनी द्वारा लगवाए गए हैं। मगर बता रहे हैं, इनके भीतर आग जलाने की बात उक्त कंपनी से नहीं की गई थी। 144 बाद के पड़ने वाले इस महाकुंभ का विशेष महत्त्व है। जिसे देखते हुए मौनी अमावस्या व बसंत पंचमी को भारी भीड़ पहुंचने का अंदाजा लगाया जा रहा है।
इसे देखते हुए व्यवस्था को चाक-चौबंद रखना टेढी खीर हो सकती है। पिछले यानी 2013 के कुंभ के दरम्यान तीन दर्जन श्रद्धालु भगदड़ में मारे जाने जैसी घटनाओं से सीख लेने की जरूरत है। मुफ्त भोजन व भंडारों के बावजूद श्रद्धालु अपनी खाने-पीने की व्यवस्था करते हैं। ठिठुरा देने वाली सर्दी से बचाव के लिए अलाव जलाये जाते हैं। बीड़ी-सिगरेट, चिलम पर पाबंदी मुश्किल है। ऐसे में गैस सिलेंडर लाने, स्टोव या चूल्हा जलाने वालों को रोका जाना और भी दुष्कर है।
भीड़ को देखते हुए व्यवस्था बनाये रखना बड़ी चुनौती है, परंतु उससे भी बड़ी दिक्कत अपने यहां अतिविशिष्टों की सुरक्षा-व्यवस्था में जुटना भी कम नहीं है। सुरक्षातंत्र का बड़ा अमला वीआईपी स्नान में इतना व्यस्त हो जाता है कि आम जनता से ध्यान भंग होना लाजमी है।
जनता में भी जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। हालांकि इतने बड़े आयोजन में ज्वलनशील सामग्री को सुरक्षित रखना नामुमकिन है। फिर भी दमकल विभाग को विशेषाधिकारों द्वारा चौकस बनाए जाने की जरूरत है।
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