पक्ष-विपक्ष संकल्पबद्ध हों, सदन का कामकाज न हो बाधित

Last Updated 16 Dec 2024 12:32:19 PM IST

आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को लोक सभा में कहा कि उसके माथे से यह कलंक कभी नहीं मिट सकता।


पक्ष-विपक्ष संकल्पबद्ध हों, सदन का कामकाज न हो बाधित

‘संविधान के 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा’ पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने नेहरू-गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस परिवार ने हर स्तर पर संविधान को चुनौती दी है। इससे पूर्व चर्चा में हिस्सा लेते हुए नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सरकार कर तीखा प्रहार करते हुए आरोप लगाया था कि जिस तरह एकलव्य का अंगूठा कटा था, उसी तरह आज देश के युवाओं का अंगूठा काटा जा रहा है।

‘जैसे एकलव्य ने तपस्या की थी, वैसे ही हिन्दुस्तान के युवा सुबह उठ कर अलग-अलग परीक्षा की तैयारी करते हैं, लेकिन जब आपने ‘अग्निवीर’ लागू किया तब आपने उन युवाओं का अंगूठा काटा।’ ‘किसानों का अंगूठा काटा गया है। उद्योगपतियों को अनुचित लाभ पहुंचा कर देश का अंगूठा काटने का काम किया जा रहा है।’ चर्चा में हिस्सा लेते हुए सपा नेता अखिलेश यादव ने अल्पसंख्यकों से भेदभाव का आरोप लगाया।

इसका तीव्र प्रतिवाद करते हुए संसदीय कार्यमंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर किसी को भी ऐसी बात नहीं करनी चाहिए जिससे देश की छवि को नुकसान पहुंचे। कहा, ‘कभी-कभी ऐसी बात की जाती है कि मानो अल्पसंख्यकों को कोई अधिकार ही नहीं है।’ बेशक, भारत के संविधान की 75 वर्षो की यात्रा गौरवपूर्ण रही है, लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तल्खी इसके अनुरूप नहीं है।

सत्ता पक्ष को हमेशा से लगा है कि प्रतिपक्ष अपनी भूमिका से न्याय नहीं कर रहा तो विपक्ष को हमेशा ही लगा है कि सत्ता पक्ष उसकी सुन नहीं रहा। इस सारी खींचतान में संसद की कार्यवाही इस तरह बाधित होती है कि किसी अपराधपूर्ण कृत्य से कम नहीं प्रतीत होती। न तो सत्ता पक्ष को भान होता है कि संसद की कार्यवाही में व्यवधान देश के नागरिकों के धन का अपव्यय है, और न ही विपक्ष इस बात को समझने को तैयार है कि उसे रचनात्मक विपक्ष की भूमिका का निवर्हन करना है।

सरकार को घेर कर जवाबदेह बनाने का मतलब कदापि यह नहीं हो सकता कि हो-हल्ला और शोर-शराबा करके सदन का बेशकीमती समय और देश का धन बर्बाद कर दिया जाए। संविधान की यात्रा का 75वां वर्ष अवसर है जब पक्ष-विपक्ष संकल्पबद्ध हों कि सदन के कामकाज को किसी सूरत बाधित नहीं होने देंगे। तभी संविधान का मर्म और भावना चोटिल होने से बची रह सकेगी।



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