बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले पर जवाबदेही का सवाल
बांग्लादेश में हिन्दुओं समेत अनेक अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार हो रहे टारगेटेड हमले से देसी नहीं विदेशों में रहने वाले और प्रवासी भारतीय भी क्षुब्ध हैं।
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पश्चिम बंगाल सहित देश के अन्य हिस्सों में इन हमलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। सोमवार को अमेरिका में भी भारतीय अमेरिकीयों ने ‘हमें न्याय चाहिए और हिंदुओं की रक्षा करो’ का नारा लगाते हुए व्हाइट हाउस से लेकर पूरी राजधानी में मार्च निकाला।
एक जिम्मेदार देश होने के नाते भारत सरकार ने बांग्लादेश के घटनाक्रम पर बहुत संयत रवैया अपनाया है और वहां लोकतांत्रिक और समावेशी सरकार की स्थापना में सहयोग देने की पहल की है। इसी क्रम में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को बांग्लादेश की यात्रा की और अंतिम सरकार के मुखिया मोहम्मद युनूस, विदेश सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन के साथ मुलाकात की।
अगस्त में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद पहली बार किसी उच्च भारतीय अधिकारी ने ढाका की यात्रा की। हसीना की सरकार के गिरने के बाद वहां जिस तरह हिन्दुओं के घरों, दुकानों और उपासना स्थलों पर हमले हो रहे हैं उसे दोनों देशों के रिश्ते असहज हो गए हैं। विदेश सचिव ने मोहम्मद युनूस और मोहम्मद तौहीद हुसैन से बातचीत में अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया और भारत की चिंता सुनने अवगत कराया।
विक्रम मिस्री के बयान के बाद उनके बांग्लादेशी समकक्ष तौहीद हुसैन ने हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हम लोगों को दुष्प्रचार बताकर खंडन किया और कहा कि भारत को बांग्लादेश के अंदरूनी मामलों में दखल देने से बचना चाहिए। यह तथ्य है कि सभी आधुनिक राष्ट्रीय राज्य की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने अल्पसंख्यक नागरिकों की जान-माल की रक्षा करे और यह उसका आंतरिक मामला भी होता है।
लेकिन अगर कोई राज्य अपनी जिम्मेदारियों या राष्ट्रीय धर्म का पालन ठीक से नहीं करता है तो उसके खिलाफ कौन कार्रवाई करेगा। विडंबना है कि आधुनिक राष्ट्रीय राज्य से इस सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं मिलता। विश्व जनमत इस सच्चाई को कैसे झुठला सकता है कि इस्कॉन के पूर्व सदस्य कृष्णदास को झूठे मामले में गिरफ्तार किया गया। यह विडंबना है कि बांग्लादेश अपने देश के गौरवपूर्ण इतिहास को झुठला रहा है और पाकिस्तान की तरफदारी कर रहा है। एक संप्रभु और स्वतंत्र आधुनिक देश होने के नाते बांग्लादेश को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के सवाल पर जवाबदेह होना चाहिए।
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