संसद में जवाबदेही की कमी
अदाणी व सोरोस के मुद्दे पर संसद में चल रहे हंगामे के कारण दोनों सदनों में काम-काज ठप है। लोक सभा में विपक्ष ने अदाणी का मुद्दा उठाया। राज्य सभा में सत्ता पक्ष द्वारा विदेशी ताकतों के माध्यम से देश में अस्थिरता फैलाने का मुद्दा गरमाया।
संसद में जवाबदेही की कमी |
विपक्ष का आरोप है कि सदन को एकतरफा ढंग से व सरकार के मुताबिक चलाया जा रहा है। कांग्रेस व उसके नेताओं पर विदेशी संगठनों व लोगों के माध्यम से सरकार व अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने को लेकर नारेबाजी की गई। इस हंगामे के बाच सभापति जगदीप धनखड़ ने सदस्यों से आत्मचिंतन करने को कहा और सदन को सुचारू रूप से चलने देने की अपील की। हालांकि उनसे नाराज विपक्षी दल राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है।
इससे पहले भी वे अगस्त के दौरान विपक्ष का धनखड़ से विवाद हो चुका है। सत्तर सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव पर दस्तखत किए हैं। उन पर सरकार का पक्ष लेने व सत्ता पक्ष के सांसदों को नियम के विपरीत बोलने देने की छूट देने का आरोप है, जबकि इसके उलट सत्ता पक्ष उन पर प्रधानमंत्री के खिलाफ अभद्र भाषा प्रयोग करने तथा लोकतंत्र का सम्मान न करने का आरोप मढ़ रहा है।
सदन के नियमित काम में व्यवधान और हंगामें के चलते सिर्फ कार्य ही बाधित नहीं होता बल्कि जनता के पैसों की बर्बादी भी होती है। सदन की गरिमा बनाए रखना केवल विपक्ष की जिम्मेदारी नहीं है। यह सत्तापक्ष को भी ख्याल रखना चाहिए।
दोनों सदनों में जिस कदर हंगामा जारी है, उससे शीतकालीन सत्र का सारा समय बर्बाद हो रहा है। ज्ञात है हर मिनट संसद की कार्यवाही पर ढाई लाख रुपए से अधिक का खर्च आता है। यह धन बे-वजह बर्बाद होने के अलावा सदन के इस बेशकीमती समय को लेकर सांसदों को संवेदनशील बनने की जरूरत है।
संयमपूर्ण विरोध और सरकार से नाराजगी व्यक्त करने के और भी तरीके हो सकते हैं। सरकार को भी विपक्ष की आवाज दबाने और सदन स्थगित करने से बाज आना चाहिए। संविधान का सम्मान करने और उसके नियमों को मानने की बातें करने की बजाए उस पर गंभीरतापूर्वक अमल करके जनता के समक्ष गरिमापूर्वक पेश आना चाहिए। देश का विकास व सरकार के काम-काज को सुचारू ढंग से चलने देने में अड़ंगे लगाने का हर सदस्य बराबर दोषी है। उसे अपने तौर-तरीकों को सुधारने के प्रति स्वयं जवाबदेह होना होगा।
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