एकता का महत्त्व
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभल में उपद्रवियों के प्रति हमदर्दी रखने वाले दलों पर सीधा हमला बोला है। वह अयोध्या में रामायण मेले में उद्घाटन के बाद बोल रहे थे।
एकता का महत्त्व |
योगी ने अयोध्या और संभल में मुगल शासक बाबर की सेना ने जो किया था, और जो आज बांग्लादेश में हो रहा है, उसका डीएनए एक ही बताया। उन्होंने कहा, अगर हमने एकता को महत्त्व दिया होता, देश के दुश्मनों की रणनीति सफल न होने दी होती तो यह देश कभी गुलाम नहीं बनता। हमारे तीर्थ कभी अपवित्र नहीं होते। मुट्ठी भर आक्रांता कभी हम पर आक्रमण नहीं कर पाते। हालांकि योगी ने किसी का नाम नहीं लिया।
मगर सामाजिक ताने-बान को छिन्न-भिन्न करने वालों के लिए जाति आधारित राजनीति करने का आरोप लगाया। असल में संभल में हिंसा, उपद्रव और गोली-बारी की घटना के बाद से विपक्ष राज्य सरकार को निशाने पर रखे हुए है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उपद्रवियों को बेकसूर बताते हुए उनके परिवारों को आर्थिक मदद का ऐलान किया है। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा लोगों का ध्यान भटकाने के लिए जान बूझकर संभल में तनाव उत्पन्न करवा रही है। योगी भगवान राम, रामराज और सनातन धर्म की रक्षा की बात भले ही कर रहे थे मगर हकीकत यही है कि भाजपा ने सत्ता में आने के बाद से देश को धर्म के नाम पर बांटने का ही काम किया है।
रामलला को अयोध्या धाम में विराजमान कराने और भव्य मंदिर बनाने के बाद से उत्साहित राज्य सरकार राम के आदशरे की दुहाइयां जनता को देती रहती है। हालांकि संभल की घटना को बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हो रहे दंगों से जोड़ना अतिश्योक्ति है क्योंकि संभल की जिस जामा मस्जिद के सव्रे को लेकर मामला भड़का, वह विवादों में भले ही रही है मगर उसके करीब रहने वाले दोनों समुदायों के लोग मिल-जुल कर रहते आए हैं।
जब तक असल दोषियों की पहचान नहीं होती, इस तरह की बायनबाजी से सबको बचना चाहिए। मुगल शासकों का अपना इतिहास है जिसे बदला नहीं जा सकता। देश की गुलामी का दोष किसी समुदाय के मत्थे मढ़ने से हकीकत नहीं बदली जा सकती। भगवान राम और जानकी के प्रति श्रद्धा भाव रखने वाला कोई भी सनातनी निष्ठुर नहीं हो सकता। राम त्याग और बलिदान की साक्षात मूर्ति हैं। उनसे हमें सहिष्णुता सीखनी चाहिए। राज्य में अमन और शांति की बहाली का काम सरकार का है। नि:संदेह एकता का महत्त्व कम नहीं है। दुश्मनों से भिड़ने के लिए हमें इस एकता के महत्त्व को कमतर नहीं आंकना चाहिए।
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