Constitution Day : समाजवाद का अर्थ
यह महज संयोग है कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर संविधान के प्रस्तावना में निहित समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे शब्दों के महत्त्व और उसकी उपयोगिता की व्याख्या की है, जिनका स्वागत किया जाना चाहिए।
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प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के बारे में कहा कि भारत के नागरिकों ने इन दोनों शब्दों को अंगीकार करके आत्मसात कर लिया है। इसलिए 44 वर्षो बाद इन शब्दों को संविधान के प्रस्तावना से निष्प्रभावी किए जाने का कोई वैज्ञानिक आधार दिखाई नहीं देता है।
वास्तव में यह शब्द मूल संविधान के हिस्से नहीं थे। संविधान सभा में इन शब्दों पर विस्तृत विमर्श हुआ था, लेकिन अंतत: संविधान में इन्हें शामिल करने के विचार का परित्याग कर दिया गया था। इंदिरा गांधी की सरकार ने आपातकाल के दौरान 1976 में संविधान के 42 में संशोधन के जरिए इन शब्दों को प्रस्तावना में जोड़ा था।
वर्ष 2020 में अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सुब्रह्मण्यम स्वामी और अिनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता शब्दों को प्रस्तावना में शामिल किए जाने को चुनौती दी थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं का मानना है कि इन शब्दों को आपातकाल में जोड़ा गया जब लोक सभा के कार्यकाल को 1 वर्ष के लिए बढ़ाया गया था।
एक वर्ग का यह भी मानना है कि समाजवाद शब्द एक विशेष विचारधारा के पद पर चलने का संकल्प जाहरि करता है जो प्रतिनिधित्व और लोकतंत्र के सिद्धांतों के विरु द्ध है। कोर्ट का विश्वास है कि इन शब्दों को प्रस्तावना में 1976 में भले ही जोड़ा गया, लेकिन संविधान में कुछ ऐसे प्रावधान हैं जिनसे जाहिर होता है कि ये संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 यह प्रावधान करता है कि राज्य किसी भी नागरिक के साथ धर्म के आधार पर विभेद नहीं करेगा।
शीर्ष अदालत ने समाजवाद को कल्याणकारी राज्य के रूप में व्याख्या की जो राज्य के नागरिकों के सामाजिक-आर्थिक जीवन के उन्नयन में महती भूमिका का निर्वाह करता है। संविधान की प्रस्तावना में निहित समाजवाद शब्द दक्षिणपंथी या वामपंथी अर्थव्यवस्था अपनाने के लिए विवश नहीं करता। 1955 के कांग्रेस अधिवेशन ने समाजवादी आर्थिक पक्ष पर चलने का संकल्प व्यक्त करते हुए मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया था। यह आज भी जारी है।
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