संपूर्णता में हों योजनाएं
इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्जिंग की सुविधा देने के लिए नेशनल हाई-वे पर भी बड़ी संख्या में चार्जिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं, ताकि अंतर शहरी इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिग इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर हो और लोग निश्चिंत होकर लंबी दूरी की यात्राएं कर सकें।
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केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार भारी उद्योग मंत्रालय ने पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत तीन तेल विपणन कंपनियों के माध्यम से कुल 7432 ईवी चार्जिग स्टेशनों में से 5833 को हाई-वे के किनारे लगाने का लक्ष्य रखा है।
5293 स्टेशन तैयार भी बताए जा रहे हैं। तेल विपणन कंपनियों को इन चार्जिग स्टेशनों के लिए आठ सौ करोड़ की पूंजी भी सब्सिडी भी दी गई है। इनमें पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अंतर्गत 178 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए 4729 ईवी चार्जिग स्टेशन भी शामिल हैं।
टाटा की चार बड़े ऑपरेटरों द्वारा दो साल के भीतर ही दस हजार नये स्टेशन स्थापित करने की भी योजना पर काम जारी है। हालांकि टेस्ला दुनिया की सबसे बड़ी फास्ट चार्जिग नेटवर्क की मालिक है। जो अपने ई-वाहनों को तयशुदा वक्त तक मुफ्त चार्ज करने की सुविधा प्रदान करती है। इस तरह की आकषर्क योजनाओं द्वारा खरीदारों को इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के प्रति प्रोत्साहित किया जा सकता है।
चूंकि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है, जिसको देखते हुए सरकार वितरण, पारेषण व इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास व रख-रखाव को लेकर गंभीर है। इसीलिए केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी व छूट दी जा रही है। हैरत है कि कुछ राज्य सरकारें कई जगह चार्जिग स्टेशनों पर 18 फीसद जीएसटी लगा रही हैं, जिससे वाहन चालकों पर यह बोझ बढ़ सकता है। इलेक्ट्रिक वाहनों को काफी किफायती माना जा रहा है। ये पर्यावरण के अनुकूल तो हैं ही। इनका रख-रखाव करने में भी विशेष दिक्कत नहीं आती।
अब तक ई-वी की चार्जिग को लेकर संशय बना रहता था। जो इस सुविधा से काफी हद तक संतुष्ट हो सकते हैं। हालांकि ई-वी के प्रयोग के प्रति लोगों को प्रोत्साहित करने के प्रति सरकारी स्तर पर गंभीर व दूरदर्शितापूर्ण कदम उठाये जाने की जरूरत है।
बात केवल चार्जिग स्टेशनों तक ही सीमित नहीं है। इसे संपूर्णता में देखना होगा और ई-वी की तरफ लोगों को प्रोत्साहित करने वाली केंद्र की योजनाओं को बेहतर रूप में लागू करने के प्रति प्रातिबद्ध होना होगा।
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