घटेगी वक्फ की ताकत

Last Updated 06 Aug 2024 12:24:13 PM IST

वक्फ बोर्ड की ताकत घटाने और उसे नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन का केंद्र सरकार का फैसला साहस भरा कदम है। निकट भविष्य में वक्फ बोर्ड पहले की तरह किसी भी संपत्ति को स्वेच्छा से अपनी संपत्ति नहीं घोषित कर पाएंगे।


घटेगी वक्फ की ताकत

कैबिनेट ने 40 संशोधन को मंजूरी दी है। साफ है सरकार वक्फ बोर्ड की मनमानी पर सख्ती के मूड में है। स्वाभाविक तौर पर सरकार के इस फैसले पर सियासी तनातनी और सरगर्मी भी तय है। कई मुस्लिम संगठन सिफारिश के विरोध में आ गए हैं।

असदुद्दीन ओवैसी का तर्क है कि सरकार वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता छीनना चाहती है, जो धर्म की आजादी के खिलाफ है। यही वजह है कि इसमें सियासी बढ़त के लिए संशोधन पेश करने से पहले भाजपा अपने सहयोगियों को साधने में जुट गई है। इसके लिए उसे जोर-आजमाइश ज्यादा करनी होगी। गौरतलब है कि वक्फ बोर्ड अधिनियन 1954 में पारित हुआ था।

इसके बाद इस अधिनियम में समय के अनुसार कई संशोधन किए गए। नरसिम्हा राव सरकार ने वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दे दी थी। लाजिमी है कि कांग्रेस के साथ उसके सहयोगी पार्टियां सरकार के इस प्रस्ताव से इत्तेफाक नहीं रखती। वर्तमान में वक्फ बोर्ड के पास 8,65,644 अचल संपत्तियां हैं।

अल्पसंख्यक मंत्रालय ने दिसम्बर 2022 में इसके बारे में लोक सभा में जानकारी दी थी। कहा जाता है कि रेलवे और सेना के बाद देश में संपत्ति के मामले में वक्फ तीसरा सबसे बड़ा संपत्ति मालिक है।

हालांकि, सबसे अधिक विवाद वक्फ के अधिकारों को लेकर है। क्योंकि वक्फ एक्ट के सेक्शन 85 में इस बात पर जोर दिया गया है कि बोर्ड के फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। वक्फ बोर्ड निरंकुश हो गया और इसकी कार्यशैली पर लगाम लगाने की महती जरूरत भी है।

दरअसल, वक्फ का निर्माण पिछड़े मुसलमानों के उत्थान के लिए किया गया था, लेकिन इसका सही से उपयोग नहीं किया गया, बल्कि दुरुपयोग ज्यादा किया गया। वक्फ की अरबों की संपत्ति अवैध रूप से कुछ लोगों के कब्जे में हैं, महिलाओं की भागीदारी इसमें न के बराबर है।

इन सारी अनियमितताओं पर अगर सरकार ईमानदारी से काम करना चाहती है तो उसके फैसले को समर्थन देने में किसी को गुरेज नहीं होनी चाहिए। सांप्रदायिक नफा-नुकसान के तराजू पर तौलने से पहले सभी राजनीतिक दलों को हफ्ते भर बाद संसद में पेश किए जाने का इंतजार करना चाहिए। हां, बिना-वजह बयानबाजी कर माहौल खराब करने से हर किसी को बचने की जरूरत है।



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