नीट-यूजी : दोबारा परीक्षा नहीं

Last Updated 25 Jul 2024 12:12:02 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने विवादों से घिरी नीट-यूजी 2024 परीक्षा को रद्द करने और दोबारा परीक्षा कराने की मांग संबंधी याचिकाओं को मंगलवार को खारिज करते हुए कहा कि प्रश्नपत्र के व्यवस्थित रूप से लीक होने और अन्य गड़बड़ियों को दर्शाने वाली कोई सामग्री रिकॉर्ड में नहीं है।


नीट-यूजी : दोबारा परीक्षा नहीं

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ताओं नरेंद्र हुड्डा, संजय हेगड़े और मैथ्यूज नेदुमपरा सहित विभिन्न वकीलों की दलीलें करीब चार घंटे सुनीं। दरअसल, इस मामले में पहले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया था कि यदि व्यवस्थित रूप से पेपरलीक होने और प्रणालीगत उल्लंघना का पता चलता है, तो यकीनन सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

लेकिन व्यापक स्तर पर गड़बड़ियां रिकॉर्ड में न मिलने और प्रणालीगत उल्लंघना न पाने पर संतुष्ट अदालत को नीट-यूजी की परीक्षा दोबारा कराने में कोई ठोस आधार नहीं दिखा। बहरहाल, शीर्ष अदालत ने बीस लाख से ज्यादा छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए फैसले का प्रभावी हिस्से को लिखा और विस्तृत फैसला बाद में सुनाया जाएगा। एनटीए और शिक्षा मंत्रालय पांच मई को आयोजित नीटू-यूजी परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक समेत बड़े पैमाने पर कथित गड़बड़ी को लेकर निशाने पर हैं।

एनटीए देश भर के सरकारी और निजी संस्थानों में मेडिकल संबंधी पाठय़क्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) आयोजित करती है। संतोष की बात है कि काफी दिनों से चले आ रहे इस विवाद का समाधानपरक पटाक्षेप हो गया है, और छात्रों तथा उनके अभिभावकों को राहत मिली है कि मामले में निर्णायक फैसला हो सका है। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस सारे विवाद से एनटीए की छवि दागदार हो गई है।

वैसे भी एनटीए द्वारा संचालित और आयोजित कई अन्य परीक्षाओं पर जब-तब कदाचार और धांधलियों के आरोप लगे हैं, परीक्षा परिणाम मिलने में विलंब भी हुए हैं। इससे कई पाठय़क्रमों में प्रवेश के इच्छुक छात्रों को बेवजह तनाव का सामना करना पड़ता रहा है। जरूरी है कि सरकार एनटीए की समूची मशीनरी को ज्यादा कारगर और परिणामोन्मुख बनाने पर ध्यान दे। किसी भी सूरत में न्यायसंगत नहीं है कि परीक्षार्थियों को बेवजह के तनाव से दो-चार होना पड़े।



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