बाज आए अमेरिका

Last Updated 27 Jul 2024 12:45:39 PM IST

भारत और अमेरिका के संबंध क्या पटरी से उतर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 8-9 जुलाई की रूस यात्रा के संबंध में अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा के संदेश और समय ने अमेरिका को भारत की ओर से निराश किया है।


अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन रूसी राष्ट्रपति पुतिन को युद्ध अपराधी घोषित कर चुके हैं। जाहिरा तौर पर ऐसे हालात में प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा पर अमेरिका से इसी तरह की प्रतिक्रिया अपेक्षित थी। डोनाल्ड लू से पहले नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि अमेरिका और भारत के रिश्ते हाल के वर्षो में व्यापक बने हैं, लेकिन इनकी बुनियाद ज्यादा पुख्ता नहीं है।

उन्होंने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और रणनीतिक स्वायत्तता पर भी सवाल खड़े किए थे। पश्चिमी देशों की मीडिया ने भी मोदी की रूस यात्रा की आलोचना करते हुए यहां तक कह दिया कि भारत पर भरोसा नहीं किया जा सकता। यह इत्तेफाक था कि जिस समय मोदी की रूस यात्रा हुई थी, उसी दौरान वाशिंगटन में सैन्य संगठन नाटो की शिखर वार्ता आयोजित थी जिसमें रूस विरोधी रणनीति का प्रारूप तैयार किया गया था।

भारत के विदेश मंत्रालय ने डोनाल्ड लू की प्रतिक्रिया पर सधी हुई प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भारत और रूस के संबंधों पर चर्चा करते हुए व्यावहारिक वास्तविकता को ध्यान में रखना चाहिए। दोनों देशों के संबंध आपसी हितों पर आधारित हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका सहित पश्चिमी देश भारत और विशेषकर मोदी के प्रति बेरुखी का रवैया अपनाने लगे हैं।

आगे चलकर यह रुख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विरोध में बदल सकता है। ऐसे में रूस के साथ संबंधों को और मजबूत बनाया जाना आवश्यक है। प्रधानमंत्री मोदी शायद इसी सोच को आगे बढ़ा रहे हैं। लोगों को याद होगा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1970 के दशक में ऐसी ही रणनीति अपनाई थी। भारत ने तत्कालीन सोवियत संघ के साथ मैत्री संधि की थी जिसके कारण बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के समय भारत अमेरिका की चुनौती का सामना कर सका।

भारत एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। ऐसे में अमेरिका और पश्चिमी देश नई दिल्ली को चाह कर भी अस्थिर नहीं कर सकते। लेकिन भारत को अपनी ओर से सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि भारत और रूस के बीच बढ़ता सैन्य सहयोग अमेरिका की आंखों में किरकिरी पैदा करता रहेगा। अमेरिका का भारत के प्रति क्या रुख रहेगा यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।

 



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment