भतीजे पर जताया भरोसा

Last Updated 25 Jun 2024 01:14:29 PM IST

बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर अपने फैसले से सभी को चौंकाया है। करीब डेढ़ महीने पहले उन्होंने आम चुनाव के प्रचार के दौरान अपने भतीजे आकाश को अचानक राष्ट्रीय समन्वयक (कोआर्डिनेटर) और उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया था।


भतीजे पर जताया भरोसा

अब भतीजे पर बुआ ने फिर से भरोसा जताया है और उन्हीं पदों पर दोबारा वापसी कराई है। भतीजे पर दोबारा भरोसा करने की कई खास वजहें हैं। सबसे प्रमुख वजह, आजाद समाज पार्टी और उसके नेता चंद्रशेखर आजाद का तेजी से बहुजन आबादी पर बढ़ता प्रभाव है। आजाद की स्वीकार्यता प्रदेश की बहुजन आबादी खासकर युवाओं दिखती है। मायावती इस बात से आशंकित हैं कि कहीं चंद्रशेखर उनके आधार वोट बैंक को ही जख्मी न कर दे।

दूसरी प्रमुख वजह; मायावती का सीधे तौर पर निष्क्रिय होना है। सियासत में करीब 30 साल से ज्यादा समय से सक्रिय मायावती अब बहुजन समाज पार्टी के लिए मेंटोर की भूमिका में रहना चाहती है। हाल के वर्षो में बसपा की लोकप्रियता और कोर वोटर्स में काफी कमी देखी गई है। वोट बैंक के फिसलने से मायावती चिंता में हैं। खराब हालात में भी 19 फीसद मत पाने वाली बसपा इस लोक सभा चुनाव में घटकर 9.39 फीसद पर सिमट गई है।

स्वाभाविक है, पार्टी अपने गौरवशाली अतीत का जब स्मरण करती होगी तो उसे निराशा महसूस होती होगी। पार्टी के अंदर से मिले फीडबैक ने भी मायावती को अपने निर्णय पर फिर से विचार करने के लिए बाध्य किया होगा। एक तरफ चंद्रशेखर आजाद तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इस बार यह दिखा दिया कि बसपा का कोर वोटर उनके साथ भी कदमताल कर सकता है। दरअसल, मायावती के बारे में विपक्ष यह प्रचारित करने में सफल रहा है कि उनकी पार्टी भाजपा की बी टीम है।

बसपा सिर्फ भाजपा को फायदा पहुंचाने के वास्ते प्रत्याशियों का चयन बहुजन समाज से न करके ज्यादा-से-ज्यादा सीटों पर मुस्लिम उम्मीवारों को खड़ा करती है। चूंकि जनता में इस बार केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार को लेकर गुस्सा, लिहाजा जनता ने तीसरे विकल्प को पसंद किया। इस संदेश को मायावती जितना जल्दी समझ लें, बसपा को उतना ही फायदा पहुंचेगा। भतीजे आकाश ने पिछले महीने प्रचार के दौरान यह दिखा दिया है कि पार्टी के लिए वह तुरुप का पत्ता हैं।



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