रूस यूक्रेन युद्ध की शांति की राहें

Last Updated 19 Jun 2024 12:48:04 PM IST

रूस यूक्रेन युद्ध की समाप्ति का रास्ता तलाशने के उद्देश्य से इस सप्ताह के अंत में स्विट्जरलैंड में एक शांति शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें करीब 90 देशों ने हिस्सा लिया।


शांति की राहें

विश्लेषकों का मानना है कि दो वर्षों के बाद युद्ध विराम को लेकर आयोजित इस शांति शिखर सम्मेलन का उद्देश्य यथार्थपरक है, लेकिन यह आकलन वास्तविकता से कई अर्थो में भिन्न है। सम्मेलन में करीब 100 प्रतिनिधिमंडल आये थे, जिनमें से ज्यादातर पश्चिमी देशों से थे और ये सभी रूस विरोधी थे। यह शिखर सम्मेलन युद्ध विराम और शांति स्थापित करने के उद्देश्य से कोसों दूर इसलिए भी रहा है इसमें रूस को आमंत्रित ही नहीं किया गया।

रूस सबसे महत्त्वपूर्ण हितधारक है और जब तक रूस और यूक्रेन वार्ता की मेज पर एक साथ नहीं बैठेंगे तब तक शांति का कोई परिणाम ही सामने नहीं आएगा। इस शांति शिखर सम्मेलन से ठीक पहले जी-7 देशों के सम्मेलन में दुश्मन देश रूस की जब्त 4177 अरब रुपए की संपत्ति यूक्रेने को देने की घोषणा की गई है। यूक्रेन को एक तरफ नाटो देश हथियार दे रहे हैं और दूसरी ओर अमेरिका लगातार फंड दे रहा है। अमेरिका बार-बार कह रहा है कि यूक्रेन को इस तरह की मदद लगातार मिलती रहेगी।

अब अगर जी-7 देशों की घोषणा के मुताबिक रूस की जब्त संपत्ति यूक्रेन को दी गई तो एक नया मोर्चा खुल जाएगा। यह दो दिवसीय शांति सम्मेलन था। अंतिम दिन यानी रविवार को एक साझा बयान जारी किया गया जिसमें यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रखने की शर्त को मुख्य आधार बनाया गया है।

भारत सहित 12 देशों ने इस शर्त को नामंजूर करते हुए साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इन देशों का मानना है कि इस शर्त से टकराव की स्थिति बनी रहने की आशंका है। भारत ने सार्वजनिक रूप से कभी भी रूस को आक्रामक देश नहीं कहा है जैसा कि पश्चिमी देश मानते हैं।

पिछले दिनों एक जनमत सव्रेक्षण में यह बात सामने आई थी कि यूक्रेन की एक बड़ी आबादी का विजय के संदर्भ में निराशावादी रुख है। वे सीमित युद्ध परिणामों को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। यह भी सत्य है कि दो साल से जारी इस भीषण युद्ध के बाद भी जेलेंस्की और पुतिन दोनों के लिए विजय मृगतृष्णा बनी हुई है। युद्ध विराम और शांति स्थापित करने के लिए पश्चिमी देशों को स्वप्नद्रष्टा होने की बजाय जमीनी हकीकत को समझना होगा।



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