नकेल कसने की तैयारी

Last Updated 17 Jun 2024 01:03:25 PM IST

मोदी सरकार डीप फेक, गलत सूचनाएं फैलाने या भड़काऊ वीडियो बनाने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का दुरुपयोग रोकने के मद्देनजर सख्त कानून बनाने की तैयारी में है।


नकेल कसने की तैयारी

हालांकि यह सब एकदम से नहीं होने जा रहा। इसमें कुछ समय लग सकता है, लेकिन इतना तय है कि सरकार जल्द से जल्द इस बाबत कानून बनाकर लागू करना चाहेगी। चुनाव से पहले भी सरकार ने डिजिटल इंडिया विधेयक का प्रारूप तैयार किया था, लेकिन उस दिशा में आगे काम न हो सका। गलत सूचनाएं फैलाने या लोगों को भड़काने की नीयत से डाले गए वीडियो का असर लोक सभा चुनाव में भी देखने को मिला।

चुनाव से पहले और चुनाव प्रक्रिया के दौरान इंफ्लूएंसर्स और सोशल मीडिया ने आम जन की इस कदर विसनीयता हासिल कर ली थी कि लोग इस मीडिया पर आंख मूंदकर विश्वास करने लगे हैं। मान रहे हैं कि सोशल मीडिया उन्हें गुमराह नहीं होने देगा और जमीनी हकीकत से उनकी वाकफियत बनाए रख सकता है।

भाजपा अपने तई पूर्ण बहुमत पाने से चूक गई। उसने अपने सहयोगी दलों के साथ मिल कर गठबंधन सरकार तो बना ली है, लेकिन कहीं-न-कहीं उसे महसूस होता है कि सोशल मीडिया ने प्रोपगेंडा करके उसका खेल बिगाड़ दिया। हालांकि चुनाव से पहले ही वह महसूस करने लगी थी कि सोशल मीडिया लोगों को गुमराह करने के लिए सरकार विरोधी एजेंडा चला रहा है। चुनाव परिणाम देखकर तो उसे तस्दीक ही हो गई कि सोशल मीडिया ने उसकी संभावनाओं पर खासा असर डाला।

डीप फेक के मामले भी एक के बाद एक सामने आए हैं, जिनमें सिने तारिकाओं और अन्य हस्तियों की छवि बिगाड़ने के प्रयास हुए। डीप फेक और भड़काऊ वीडियो के जरिए भ्रामक सूचनाएं फैलाना और एआई का दुरुपयोग से पूरी दुनिया त्रस्त है। अनेक देशों ने इस बाबत कानून भी बनाए हैं।

सरकार चाहती है कि उन देशों के अनुभव से भी लाभ लिया जाए ताकि बनाया जाने वाला कानून ज्यादा-से-ज्यादा असरदार हो सके। सरकार को संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी संबंधी प्रावधान को भी ध्यान में रखना होगा क्योंकि सोशल मीडिया और इंफ्लूएंसर इसको ढाल बनाए हुए हैं, लेकिन सरकार इन माध्यमों पर नकेल कसने के लिए सख्त कानून को लेकर संजीदा है।



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