बेटियों का कमाल
देश की दो कम उम्र बेटियों ने ऐसा कमाल किया है, जिसे वर्षो भुलाया नहीं जा सकेगा। मात्र 15 साल की प्रीति स्मिता भोई ने विश्व युवा वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 40 किलो वर्ग के क्लीन और जर्क में 76 किलो वजन उठाने का विश्व यूथ रिकॉर्ड बनाने के साथ कुल 133 किलो वजन उठाया।
बेटियों का कमाल |
वहीं 16 साल की काम्या कार्तिकेयन ने नेपाल की तरफ से एवरेस्ट पर सफल अभियान किया है। वह यह उपलब्धि पाने वाली देश की सबसे छोटी पर्वतारोही हैं। इन दोनों युवाओं ने अपने प्रदर्शन से साबित किया है कि कोई बात मन में ठान ली जाए तो उसे पूरा किया जा सकता है।
प्रीति स्मिता ओडिशा के पिछड़े इलाके ढेंकनाल से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने मात्र दो साल की उम्र में ही पिता को खो दिया था। पर मां ने अपनी बेटी को आगे बढ़ाने के लिए हर तरह का बलिदान दिया और उसका केंद्रीय विद्यालय में दाखिला करा दिया।
वहां कोच गोपाल कृष्ण दास की उनके ऊपर निगाह पड़ी तो उन्होंने प्रीति को वेटलिफ्टर बनने की सलाह दी। और आज हमारे सामने विश्व रिकॉर्डधारी खड़ी है। वहीं काम्या एक सपन्न परिवार से ताल्लुक रखती हैं।
उनके पिता एस कार्तिकेयन नौसेना में कमांडर हैं। पिता ने बेटी को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए भरपूर साथ दिया है। वह इस अभियान में भी काम्या के साथ एवरेस्ट तक गए थे। मुंबई के नौसेना विद्यालय में 12वीं में पढ़ने वाली काम्या ने नेपाल की तरफ से सफल अभियान करके सबसे कम उम्र में अभियान पूरा करने का रिकॉर्ड बनाया। दोनों प्रदर्शन यह जताते हैं कि भारत में विभिन्न खेलों में प्रतिभाओं की तो कमी नहीं है, जरूरत सिर्फ उन्हें आगे लाने की है।
हमारे यहां पहले भी तमाम युवाएं प्रतिभाएं कमाल करती रहीं हैं। पर इस तरह के मामले में अक्सर खिलाड़ी अपनी इच्छा शक्ति के दम पर तमाम मुश्किलों का सामना करके आगे आते रहे हैं। हमने धाविका हिमा दास जैसे तमाम एथलीटों को घर से प्रशिक्षण स्थल तक पहुंचने में तमाम बाधाओं को पार करने की तमाम कहानियां पढ़ी हैं।
अगर देश में दूरस्थ स्थानों तक खेल सुविधाओं का नेटवर्क फैलाया जाए तो देश में खेल क्रांति संभव है। हम यदि ऐसा कर सके तो दो-तीन दर्जन पदक जीतकर देश की प्रतिष्ठा को चार चांद लगते देख सकेंगे।
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