पहले हक तो मिले
चार जून के बाद मोदी आपकी शक्ति को महाशक्ति बना कर रहेगा। विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की मानसिकता को महिला विरोधी करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस में यह बात कही।
पहले हक तो मिले |
प्रधानमंत्री नारी शक्ति संवाद कार्यक्रम में पच्चीस हजार महिलाओं से सीधा संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दस साल की सरकार के निर्णय से पहली बार आज माताएं और बहनें केंद्र में आई हैं।
उन्हें योजनाएं बनाने में केंद्रीय भूमिका में रखा जा रहा है, और उनके उन्नयन के लिए योजनाएं बनाने पर बल दिया जा रहा है। यह भारत की सक्सेस स्टोरी का बहुत बड़ा फैक्टर है। उन्होंने अपनी पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकलाप का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस और सपा सरकारों ने महिलाओं की उपेक्षा की।
उन्होंने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जब घर आपके बिना नहीं चलता तो देश आपके बगैर कैसे चल जाता। विपक्षी दलों की मानसिकता को महिला विरोधी ठहराते हुए मोदी ने कहा कि वे महिलाओं को आरक्षण देने का विरोध करते हैं।
सपा वाले बेशर्मी से कहते थे, लड़के हैं लड़कों से गलती हो जाती है लेकिन आज सपा के लड़के गलती करके दिखाएं। मगर वे जिस वक्त ये दावे कर रहे थे, उसी वक्त राजस्थान के करौली जिले की मूक-बधिर आदिवासी नाबालिग ने जयपुर में दम तोड़ दिया। दस साल की मासूम बच्ची बलात्कार करके जिन्दा जलाई गई थी।
दस दिन तक जिन्दगी और मौत के बीच झूलते हुए उसने दम तोड़ दिया। मोदी बिहार के चंपारण और महाराजगंज की चुनावी रैलियों में अंबेडकर और आरक्षण की बात कर अपनी सरकार की पीठ थपथपाते रहे। मगर प्रशासन या सरकार की तरफ से इस बच्ची की कोई सुध नहीं ली गई।
महिलाओं के शक्तिशाली होने की बातें बनाने से अब काम नहीं चलने वाला। उन्हें सुरक्षा चाहिए। यह सच है कि लड़कों की गलतियों को नजरंदाज करने वालों की पार्टी के राज में महिलाएं असुरक्षित थीं। मगर अब जब सुशासन की बात की जा रही है, मासूम मूक-बधिर बच्ची के साथ हुई हैवानियत भाजपा के राज में हुई।
नि:संदेह कानून अपना काम करेगा। मगर कानून बनाने वालों को भी चेतना होगा। उन्हें आरक्षण देने या लेने वालों को यह सबक भी सिखाने होंगे कि संविधान की नजर में महिलाओं का स्थान बराबरी का है।
वे असल महाशक्ति तभी बन सकती हैं, जब उनकी निजता, आजादी और अस्मिता पर आंच न आने दी जाए। कमोबेश अपने यहां चुनावी भाषणों में इसकी कोई चर्चा नहीं होती।
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