एनआईए जांच के फंदे में केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एनआईए जांच की सिफारिश की गई है। उन पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस से देवेन्द्र पाल भुल्लर की रिहाई की एवज में 1.6 करोड़ डॉलर बतौर चंदा लेने का आरोप है।
एनआईए जांच के फंदे में |
दिल्ली के उपराज्यपाल ने वीके सक्सेना ने विश्व हिन्दू महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव आशु मोंगिया के साक्ष्य-आधारित आरोप के मद्देनजर एनआईए जांच की अनुशंसा की है। केजरीवाल पहले से ही आबकारी नीति मामले में जेल में हैं, जिसमें जमानत पर मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके एक दिन पहले जांच की सिफारिश की गई है। ताजा आरोप केजरीवाल के वर्तमान और भविष्य के लिए एक नये फंदे की तरह है।
पंजाब के खालिस्तान आंदोलन के दौरान भुल्लर का रक्तरंजित इतिहास रहा है। वह खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट से जुड़ा कुख्यात आतंकी है, जिसने दिल्ली की रायसीना रोड स्थित युवक कांग्रेस मुख्यालय के सामने 11 सितम्बर, 1993 को बम विस्फोट कर राजधानी को दहला दिया था। इसमें 11 लोग मौके पर ही मारे गए थे। जाहिर तौर पर यह मामला मौजूदा कानून के मुताबिक देशद्रोह की कोटि में आता है। ऐसे में चंदे का आरोप सिद्ध हो गया, जैसा कि उपराज्यपाल का मोंगिया के सुपुर्द किए साक्ष्यों के आधार पर दावा है, तो केजरीवाल राजनीतिक बियावान में जा सकते हैं।
एक वीडियो में खालिस्तान समर्थक आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू को यह कहते सुना-देखा गया है कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सरकार को 2014 से 2022 के दौरान खालिस्तान समर्थक समूहों से 1.6 करोड़ डॉलर की फंडिंग मिली थी। फिर भी आप को इसमें राजनीतिक षड्यंत्र लगता है। इसका मकसद आम चुनाव से केजरीवाल को दूर रखना है। उसे लगता है कि उपराज्यपाल भाजपा के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं, जबकि उन्हें सांविधानिक एजेंट के रूप में काम करना चाहिए।
इस पद की व्यवस्था केंद्र-राज्य सरकारों के बीच समन्वयक एवं संकटमोचक दायित्व-पूर्ति के लिए की गई है। आप ने यह खुलासा नहीं किया है कि उसके आरोप का आधार क्या है? पर ऐसे गंभीर आरोप किसी भी पार्टी या सरकार की मुखिया के विरु द्ध लगे तो उसकी जांच की सिफारिश उपराज्यपाल का संवैधानिक दायित्व है। इसे केवल चुनाव या जमानत पर सुनवाई की टाइमिंग या इस बिना पर भी स्थगित नहीं किया जा सकता कि ये आरोप किसी खास संगठन की तरफ से लगाए जा रहे हैं।
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