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Last Updated 25 Apr 2024 01:28:51 PM IST

भ्रामक विज्ञापनों की सुनवाई का दायरा बढ़ाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पंतजलि आयुर्वेद को कड़ी फटकार लगाई। अपनी दवाओं के लिए भ्रामक दावों को लेकर अदालत की अवमानना करने पर सुनवाई चल रही है।


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अदालत ने आदेश जारी किया कि वह बड़े साइज में माफीनामे का विज्ञापन जारी करें। रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि माफीनामा 67 अखबारों में दिया गया है। इस पर अदालत ने जानना चाहा कि क्या यह पिछले विज्ञापनों के आकार का था।

रोहतगी के इस पर केवल दस लाख रुपये खर्च करने पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की। साथ ही, यह भी कहा कि हमें पंतजलि के खिलाफ ऐसी याचिका दायर करने के लिए आईएमए पर एक हजार करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की मांग की गई है जिस पर अदालत ने प्रॉक्सी याचिका होने का संदेह व्यक्त किया।

केंद्र को इस पर जागना चाहिए कहते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को भी लताड़ लगाई। पंतजलि आयुर्वेद के उत्पादों और उनके चिकित्सकीय प्रभावों के विज्ञापनों से संबंधित अवमानना कार्रवाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को अपने समक्ष पेश होने का आदेश दिया था।

यह सुनवाई इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर जारी है। पंतजलि योगपीठ को भी अब सेवा शुल्क का भुगतान करना होगा, जुर्माना और ब्याज के रूप में उसे साढ़े चार करोड़ रुपये भी अदा करने हैं। विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार रामदेव की नेटवर्थ चौदह सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की है।

पंतजलि का कुल रेवन्यू तीस हजार करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है। नि:संदेह उन्होंने आयुर्वेद और योग को पुन: प्रचारित करने में बड़ी भूमिका निभाई है। इसके अलावा, योग और आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रति आमजन में ललक पैदा करने में भी उन्होंने महती भूमिका निभाई है।

मगर इसके लिए भ्रम फैलाने या भ्रामक विज्ञापनों के जरिए जनता को बरगलाने की उन्हें छूट तो नहीं ही मिल सकती। मंत्रालय को भी इसके लिए दोषी माना जाना जरूरी है। बात यहां अकेले पंतजलि की नहीं है, बल्कि कोई भी कंपनी अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए यदि इस तरह का भ्रम फैलाने की कोशिश करती है तो उस पर भी कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

साथ ही, भविष्य में भी इस तरह की हरकत करने पर भारी जुर्माना जड़ा जाना चाहिए। मरीजों और उपभोक्ताओं के अधिकारों को लेकर जिस तरह की लापरवाही अपने यहां जारी है, उसे रोकने के कड़े कदम तत्काल उठाए जाने बेहद जरूरी हैं।



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