वोट के लिए अनूठी पहल

Last Updated 25 Apr 2024 01:26:25 PM IST

लोक सभा चुनाव के पहले चरण में मतदान प्रतिशत गिरना वाकई चिंता की बात है। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए तमाम जतन शुरू हो गए हैं।


वोट के लिए अनूठी पहल

दिल्ली में मतदान 25 अप्रैल को है, और दिल्ली के अनेक व्यापारिक संगठनों, मॉल और बाजार संगठनों ने अपने तई घोषणा की है कि वोट करते में लगाए जाने वाले अमिट स्याही का निशान दिखाने पर खरीदारी में विशेष छूट देंगे। नेशनल रेस्तरां एसोसिएएन ऑफ इंडिया 20 फीसद की छूट का ऐलान किया है, तो कई होटलों ने वोट डालने वाले मतदाताओं को लंच बूफे पर 50 फीसद और डिनर बूफे पर 30 फीसद तक की छूट देने की बात कही है।

प्रथम चरण में कम वोटिंग होने के पीछे कुछ विश्लेषक एनडीए के 400 पार के सावे और अति आत्मविश्वास को कारण के रूप में गिना रहे हैं। मुस्लिम मतदाताओं की उदासीनता को कम मतदान प्रतिशत से जोड़कर देखा जा रहा है। भीषण गरमी, नये जुड़े मतदाताओं में वोट करने के प्रति ललक की कमी और अन्य तमाम कारण कम मतदान के लिए गिनाए जा सकते हैं। बहरहाल, कम मतदान ने राजनीतिक दलों के दिल की धड़कन बढ़ा दी हैं।

मतदाताओं को बढ़-चढ़कर मतदान के लिए प्रेरित करने में चुनाव आयोग ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। देश के दस प्रतिष्ठित जनों को इलेक्शन आइकन के रूप में अपनी मुहिम में जोड़ा जिन्होंने मतदाताओं से ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंच कर अपना नागरिक दायित्व निभाने की अपील की। जनजागरूकता के तमाम प्रयासों के बावजूद मतदान प्रतिशत में गिरावट लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।

किसी भी लोकतंत्र की सार्थकता इसी में है कि सभी नागरिकों की इसमें भागीदारी हो। अभी मतदान के छह चरण बाकी हैं, और चुनाव आयोग के साथ ही प्रबुद्ध जनों की कोशिश है कि इन चरणों में कम मतदान की स्थिति में सुधार आए। इसके लिए कारोबारी समुदाय ने भी कम कस ली है।

हालांकि वे पोस्टर आदि के जरिए मतदाताओं को मतदान प्रक्रिया में भागीदारी के लिए पहले ही अपील कर चुके हैं, लेकिन अपेक्षित नतीजा आता न देख उन्होंने अब खरीदारी पर छूट देकर मतदान में रुचि जगाने की कोशिश शुरू की है। यकीनन इस प्रयास की सराहना की जानी चाहिए क्योंकि इसमें वह नागर चिंता झलक रही है, जिससे लोकतंत्र की बुनियाद मजबूत होती है, उसकी सार्थकता और उपयोगिता को अर्थ मिलते हैं।

 



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