सभी धर्म पढ़ाए जाएं

Last Updated 23 Nov 2023 01:40:05 PM IST

सामाजिक विज्ञान की पाठ्य पुस्तकों में रामायण-महाभारत जैसे महाकाव्यों को शामिल किया जाना चाहिए।


सभी धर्म पढ़ाए जाएं

राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की उच्चस्तरीय समिति ने इस संबंध में सिफारिश की है। सात सदस्यीय समिति के अध्यक्ष सीआई आईजैक ने कहा-छात्र किशोरावस्था में अपने आत्मसम्मान, देशभक्ति व राष्ट्र के लिए गौरव का निर्माण करते हैं। प्रति वर्ष हजारों छात्रों के विदेशी नागरिकता लेने को उन्होंने देशभक्ति की कमी बताया।

समिति ने इंडिया की जगह देश का नाम भारत प्रयोग करने व प्राचीन इतिहास के बजाय क्लासिकल हिस्ट्री शामिल करने और हिन्दुओं की जीतों को रेखांकित करने की पहले ही सिफारिश कर चुकी है। छात्रों को देश के इतिहास, संघर्ष, विकास व संस्कृति के विषय में पढ़ाना अच्छी बात है। उन्हें लोकतंत्र व सामाजिक मूल्यों के बारे में विस्तार से बताना भी जरूरी है। मगर ख्याल रखना होगा कि हम पंथनिरपेक्ष व्यवस्था हैं। बच्चों को ऐसी चीजों का अध्ययन कराया जाए जिनमें किसी खास पक्ष की तरफ रुझान न होता हो।

इन सिफारिशों से स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार के धार्मिक झुकावों का विशेष ख्याल रखा गया है। रामायण-महाभारत को नि:संदेह महाकाव्यों का रुतबा प्राप्त हैं परंतु ये धार्मिक ग्रंथ ज्यादा हैं। बच्चों के संवेदनशील व कोमल मन में हमें ऐसी कोई एकपक्षीय भावनाएं नहीं पोषित करनी चाहिए। देश की धर्मनिरपेक्षता की छवि धूमिल होने से बचाने की भी आवश्यकता है।

सभी धर्मो के बेहतरीन ज्ञान को इस अध्ययन में शामिल करना उचित होगा। मेधावी छात्रों के पलायन को देशभक्ति के आईने से देखने के बजाय उनकी प्रतिभा को यहां उचित मुकाम न प्राप्त होने के कारणों को समझना होगा। इतिहास से छेड़छाड़ करने के पूर्व गंभीर विवेचन व इतिहासकारों की सलाह लेना भी जरूरी है।

पहले भी पाठ्य पुस्तकों की सामग्री को लेकर विवाद होते रहे हैं। किशोरों के समक्ष रोल मॉडल रखने के तरीकों को अत्याधुनिक बनाने के प्रयास होने चाहिए। हमारे इर्द-गिर्द जो नकारात्मकता, भ्रष्टाचार व स्तरहीनता की घटनाएं निरंतर खबरों में रहती हैं, इसके प्रयास हों कि कोमल बाल मन उनसे प्रभावित न हो और पाठ्य पुस्तकों में शामिल की जाने वाली सामग्री पर पक्षपाती रुख कतई नहीं झलके। सामूहिकता, सहिष्णुता व सर्वधर्म सम्मान भी हमारी विरासत व संवैधानिक गुण हैं, इनकी अवहेलना उचित नहीं कही जाएगी।



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