प्राचीन शिक्षा को मान्यता
शिक्षा प्रणाली (Education System) से वेदों को जोड़ने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए केंद्र द्वारा सौ करोड़ रुपए की परियोजना पर काम चालू है। इसका उपयोग भारतीय भाषाओं तथा वेदों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली (Modern Education System) से जोड़ने के लिए किया जाएगा। अब वैदिक शिक्षा पर आधारित बोर्ड से दसवीं व बारहवीं करने वाले छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए किसी भी विश्वविद्यालय में प्रवेश प्राप्त हो सकेगा।
प्राचीन शिक्षा को मान्यता |
वे एमबीबीएस व इंजीनियरिंग समेत किसी भी कॉलेज में आगे की पढ़ाई जारी रख सकेंगे। इसमें वैदिक शिक्षा से संबंधित पाठय़क्रमों व प्रमाणपत्रों को मान्यता, वैदिक पाठय़क्रम से दसवीं/बारहवीं के प्रमाणपत्र जैसे वेदभूषण/वेदविभूषण की समकक्षता को भी मंजूरी दी गई है। भारतीय प्राचीन शिक्षा पद्धति का अपना इतिहास है।
आधुनिक युग में वेदों के ज्ञान को दर-किनार कर दिया गया। खासकर संस्कृत में रची गई ये प्राचीन विरासतें उपेक्षाग्रस्त होती चली गई। गुलामी की लंबी अवधि ने हमें उस शिक्षा पद्धिति से विमुख कर दिया, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही थी। उस पर अंग्रेजी शासनकाल से प्रभावित जनमानस को प्राचीन शिक्षा प्रणाली समयानुकूल नहीं प्रतीत हुआ।
वैदिक विद्वान इस विशाल साहित्य को धरोहर के तौर पर नई पीढ़ी को सौंपते थे, परंतु नई शिक्षा प्रणाली के प्रसार के साथ यह परंपरा धूमिल होती चली गई। वेदों को पढ़ना तो दूर, आमतौर पर लोगों को इनके महत्त्व का तनिक भी ज्ञान नहीं है। ऐसे में सरकार का यह प्रयास सर्वथा उचित व सराहनीय साबित हो सकता है।
अपनी प्राचीन ज्ञान प्रणाली की उपेक्षा करना हमारी नासमझी का नमूना है। अमूमन लोग इसीलिए इनकी शिक्षा लेने में कतराते रहे हैं, क्योंकि भविष्य में इनके माध्यम से रोजगार प्राप्त होने की संभावनाएं लगभग न के बराबर हो जाती हैं। साथ ही उच्चतम शिक्षा में रोड़े लग जाते थे।
अब जबकि इन्हें मान्यता प्राप्त होगी और वेदों को नयी शिक्षा प्रणाली से जोड़ लिया जाएगा तो युवाओं की इसमें रुचि बढ़ेगी। वेदों के धार्मिक महत्त्व के अतिरिक्त इनके गूढ़ ज्ञान को भली-भांति समझने की भी दरकार है।
हालांकि सरकार के लिए इस तरह के शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता को प्रमाणिक बनाए रखने की चुनौतियां बढ़ सकती हैं। नाममात्र को वेदों के ज्ञान की बजाए इनकी ऋचाओं व महत्त्व से जनमानस को परिचित कराये जाने के भी प्रयासों को प्रोत्साहित किया जाना भी जरूरी होगा।
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