हलाला प्रमाणन पर रोक
उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणित उत्पादों की बिक्री पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
हलाला प्रमाणन पर रोक |
हालांकि इनके निर्यात पर रोक नहीं लगाई गई है। राज्य के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग की अधिसूचना के मुताबिक, हलाल प्रमाणित खान-पान की वस्तुएं, औषधि, चिकित्सा में प्रयुक्त सामग्री और प्रसाधन सामग्रियों के विनिर्माण, भंडारण, वितरण और क्रय-विक्रय करते पाए जाने पर विधिक कार्रवाई की जाएगी। बिना अधिकार समुदाय विशेष को प्रभावित करने के लिए खान-पान, औषधि और सौंदर्य प्रसाधन के उत्पादों का हलाल प्रमाणन किया जा रहा था।
इस बाबत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक शिकायत पहुंची थी और बीते शुक्रवार को लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में एक भाजपा कार्यकर्ता की तहरीर पर हलाला का प्रमाण पत्र जारी करने वाली कंपनियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी। औषधियों, चिकित्सा में प्रयुक्त सामग्री और सौंदर्य प्रसाधन उत्पादों की लेबलिंग संगत नियमों के अनुसार न करने, लेबल पर गलत और भ्रामक तथ्य छापने पर कार्रवाई की जा सकती है।
किसी उत्पाद के हलाल ‘प्रमाणन’ के बाद इस्लाम मत मानने वालों को विश्वास रहता है कि वे जो यह उत्पाद इस्तेमाल कर रहे हैं, वह हलाल है यानी जायज है। कई इस्लामी देशाों में इस प्रकार के प्रमाणपत्र वहां की सरकार देती हैं। भारत में किसी भी उत्पाद का प्रमाणन खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण करता है, और यह प्राधिकरण किसी उत्पाद को हलाल प्रमाणन नहीं देता। भारत में दर्जन से ज्यादा कंपनियां और संस्थाएं हलाल सर्टिफिकेशन करती हैं ताकि इस प्रकार प्रमाणित उत्पादों का इस्लामी देशों में निर्यात सुगम हो सके।
बेशक, इस्लामी देशों में ऐसे उत्पादों से फायदा होता हो, लेकिन घरेलू बाजार में ऐसा प्रमाणन नियम विरुद्ध है क्योंकि यह खाद्य विधि, खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत खाद्य पदाथरे के लिए नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा तय किए गए मानक के अनुरूप नहीं है।
इसके समानांतर व्यवस्था किए जाने का प्रावधान नहीं है। यदि कोई धार्मिक संगठन इस प्रकार का प्रमाणपत्र जारी करता है, तो यकीनन वह नियत कानून के दायरे से बाहर संचालित प्रक्रिया है, जिसकी कानून इजाजत नहीं देता। किसी धर्म को प्रमाणन व्यवसाय चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
Tweet |