मतदान के रुझान
हिंदी राज्यों के हृदयस्थल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में शुक्रवार को विधानसभा के लिए वोट डाले गए।
मतदान के रुझान |
मध्य प्रदेश विधानसभा की सभी 230 सीटों और छत्तीसगढ़ की शेष 70 सीटों पर मतदान छिटपुट हिंसा के बीच शांतिपूर्ण संपन्न हो गया। छत्तीसगढ़ में 7 नवम्बर को 20 सीटों पर पहले चरण का मतदान हो चुका है। मध्य प्रदेश के ज्यादातर मतदान केंद्रों पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं की तादाद ज्यादा दिखाई दी। यह प्रवृत्ति बताती है कि महिलाओं में लोकतंत्र और चुनाव के प्रति आकषर्ण और चेतना का विस्तार हो रहा है। हालांकि कुछ लोगों का नजरिया इससे अलग है।
उनका मानना है कि यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ‘लाडली बहन योजना’ और कांग्रेस की ‘नारी सम्मान योजना’ की घोषणा का असर है। सचाई चाहे जो हो, यह महत्त्वपूर्ण बदलाव है जिसे रेखांकित किया जाना चाहिए। मध्य प्रदेश के ही एक हिस्से को अलग करके छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया। जाहिर है कि दोनों राज्यों की कुछ विशेषताएं मिलती-जुलती हैं। इन दोनों राज्यों में दशकों से दो-दलीय व्यवस्था का प्रभुत्व रहा है अर्थात राज्य की चुनावी राजनीति में कांग्रेस और भाजपा प्रमुख रूप से प्रतिस्पर्धी रही हैं।
कुछ छोटे-छोटे क्षेत्रीय दल भी अस्तित्व में जरूर हैं लेकिन वे प्रभावहीन हैं। मध्य प्रदेश का चुनाव शिवराज सिंह चौहान और भाजपा दोनों के लिए विशेष महत्त्व रखता है। शिवराज एक छोटी अवधि को छोड़कर तीन कार्यकाल से सत्ता में बने हुए हैं। भाजपा के केंद्रीय नेताओं को डर सता रहा है कि इतने अधिक समय तक एक ही व्यक्ति के मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने से सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है।
शायद यही वजह रही है कि पार्टी ने इस बार के चुनाव में शिवराज को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर पेश नहीं किया। भाजपा इन राज्यों में प्रधानमंत्री के चेहरे पर ही चुनाव लड़ रही हैं। हालांकि शिवराज ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी थी और उनकी ‘लाडली योजना’ गेमचेंजर भी हो सकती है। कर्नाटक में हार के बाद हिन्दी प्रदेशों में चुनाव जीतना भाजपा के लिए जीवन-मरण का प्रश्न है।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के परिणाम आगामी लोक सभा के चुनाव को प्रभावित करने वाले साबित होंगे। कांग्रेस भी इन्हीं सवालों से जूझ रही है।
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