फिर टकराव की नौबत

Last Updated 28 Sep 2023 01:35:37 PM IST

कॉलेजियम की सिफारिशों पर कुंडली मारकर बैठने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फिर चेताया है। ये सिफारिशें पिछले साल नवम्बर से लंबित हैं।


फिर टकराव की नौबत

शीर्ष अदालत ने कहा कि अरसे बाद इस मामले में सुनवाई हो रही है, लेकिन केंद्र सरकार कॉलेजियम की 70 से ज्यादा सिफारिशों पर अमल नहीं कर रही है। मणिपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति तीन महीने से लटकी पड़ी है। अदालत ने कहा कि अब हर 10-12 दिन के अंतराल पर इस मामले की सुनवाई करेगी। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी पर निराशा व्यक्त की।

पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर.वेंकटरमणी को इस मुद्दे को हल करने के लिए कहा तो उन्होंने एक सप्ताह का समय मांगा। इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि ‘अटॉर्नी जनरल ने बहुत कम समय मांगा है, अगली बार मैं चुप नहीं रहूंगा।’ हालांकि शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल को जवाब देने के लिए एक सप्ताह के स्थान पर दो हफ्ते का समय दे दिया और उनसे कहा कि केंद्र की दलील के साथ अगली सुनवाई पर कोर्ट में पहुंचे। मामले पर अब अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी।

बेंगलुरू की एडवोकेट्स एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में 2021 के फैसले में अदालत द्वारा निर्धारित समय सीमा का कथित तौर पर पालन नहीं करने के लिए कानून एवं न्याय मंत्रालय के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई है। न्यायिक नियुक्तियों में देरी का मुद्दा उठाने वाले एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ द्वारा दायर एक याचिका को भी अवमानना याचिका के साथ सूचीबद्ध कर लिया गया था।

इस समूचे घटनाक्रम से लग रहा है कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच फिर टकराव की नौबत आ सकती है। काफी समय से कॉलेजियम के मुद्दे पर गतिरोध जैसी स्थिति बनी हुई है। स्थिति यहां तक आ पहुंची है कि कई वकीलों ने तो जज बनने के लिए अपनी सहमति ही वापस ले ली है। दरअसल, इस तरह के टकराव से उनकी न्यायिक पद पर नियुक्ति होने में रुचि ही नहीं रह गई है। यह कोई अच्छी बात नहीं है,और देश में लंबित मुकदमों के अंबार को देखते हुए इस स्थिति को कतई सुखद नहीं कहा जा सकता। लोगों को न्याय मिलने में इस कदर विलंब हो रहा है कि जैसे वे न्याय से वंचित कर दिए जा रहे हों।



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