गेहूं संकट पर चिंता गलत
मार्च महीने के अतिम दिनों और अप्रैल महीने की शुरुआत में पश्चिमी विक्षोभ के कारण मौसम ने जो रंग दिखाए उससे गेहूं की फसल खराब होने और खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बन गई थी।
गेहूं संकट पर चिंता गलत |
सकार ने यह तो माना है कि गेहूं उत्पादन कुछ घट सकता है लेकिन यह कहकर उम्मीद की किरण जगा दी है कि इस साल रिकार्ड गेहूं उत्पादन होने जा रहा है। सरकार ने शुक्रवार को साफ किया कि हाल में खराब मौसम के कारण गेहूं के उत्पादन में 10 से 20 लाख टन तक की कमी आने की आशंका है लेकिन कहा कि रकबा अधिक होने और ज्यादा उपज के कारण कुल उत्पादन चालू वर्ष में रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन तक पहुंच जाएगा।
हालिया दिनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार की गेहूं खरीद चल रही है औरलगभग सात लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। यह एक साल पहले की समान अवधि में हुई दो लाख टन की गेहूं खरीद से काफी अधिक है। केंद्र ने आटा चक्कियों से कहा है कि अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीधे किसानों से खरीद करें। बंपर उत्पादन के कारण हुए गेहूं उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने संबंधी उद्योग की मांग भी खारिज कर दी है।
खाद्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के अनुसार पिछले साल सरकार और उद्योग द्वारा व्यक्त किए गए गेहूं उत्पादन के अनुमानों में अंतर था। इस बार गेहूं के रकबे में 3-5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है,और लगभग 10-20 लाख टन उत्पादन का नुकसान हो सकता है। लेकिन बढ़े रकबे से क्षतिपूति होने और इस बार 50-55 लाख टन अतिरिक्त उत्पादन होने से चिंता की कोई बात नहीं है। मतलब कि कुल गेहूं उत्पादन फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) के लिए निर्धारित रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन के स्तर पर पहुंच जाएगा।
इस स्तर को भी पार कर सकता है। इससे उम्मीद है कि गेहूं उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होने से उपलब्धता पिछले साल की तुलना में बेहतर रहेगी। उम्मीद है कि इस साल सरकारी खरीद बेहतर होगी तथा पीडीएस और बाजार के हस्तक्षेप को पूरा करने के लिए स्टॉक की कोई कमी नहीं रहेगी। थोक उपभोक्ताओं को रियायती दरों पर अनाज की बिक्री के कारण गेहूं और आटा जैसे गेहूं उत्पादों की घरेलू कीमतों में गिरावट आ रही है। घरेलू मोच्रे पर गेहूं का पर्याप्त स्टॉक होना उम्मीद बढ़ाने वाला है।
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